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मजदूरों के खून से सहम गया था कानपुर, इंसाफ पाने को भटक रही आत्माएं

मजदूरों के खून से सहम गया था कानपुर, योगी राज में इंसाफ पाने को भटक रही आत्माएं

कानपुरDec 31, 2017 / 09:39 am

Ruchi Sharma

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कानपुर. नोटबंदी से लेकर सत्ता परिवर्तन के बाद जीएसटी के दौर से गुजरा 2017 साल का आज आखरी दिन है। कोई नए साल के जश्न की तैयारियों में जुटा हैं तो कोई पुराने जख्मों में मलहम नहीं लगने से दर्द से कराह रहा है। कानपुर में इसी वर्ष एक सपा नेता के चलते दर्जनभर मजदूरों की जान चली गई। सत्ता में अच्छी पकड़ होने के चलते पुलिस ने उसे बच निकलने का रास्ता दे दिया। मजदूरों की शव दफना दिए गए, पर उन्हें 280 दिन बीत जाने के बाद भी न्याय नहीं मिला। सत्ता परिवर्तन के बाद मृतकों के परिजनों को इंसाफ की आस जगी, लेकिन वह भी धीरे-धीरे कर धूमिल हो गई। आरोपी सपा नेता पिछले दस माह से फरार है। पुलिस भी फाइल को दबाकर बैठ गई है और इंजतार कर रही है कि महताब आलम खुद सरेंडर करेगा और फिर हम उस पर चार्ज लगाकर सजा दिलवाएं।
1 फरवरी को ढह गई थी इमारत

चकेरी के गज्जूपुरवा पोखरपुर रोड प्रीतम विहार में सपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष महताब आलम की टेनरी और शू डिवीजन है। 1 फरवरी 2017 को उसी के सामने 418 मीटर के प्लाट पर छह मंजिला भवन बनाया जा रहा था। है। इसका नक्शा पास नहीं कराया गया है। पिलरों पर खड़े इस भवन में साइड दीवारें नहीं थीं। एक फरवरी को इस भवन की छठीं मंजिल का स्लैब डाला जा रहा था। दोपहर करीब सवा एक बजे मजदूर खाना खाने के लिए नीचे बेसमेंट में आ रहे थे कि पूरी शटरिंग ढह गई और स्लैब भरभरा कर नीचे गिर पड़ा। देखते ही देखते पांचों मंजिल की छतें गिर गई और बेसमेंट में आए लोग उसके नीचे दब गए। इससे मूल रूप से गौरिया महाराज पुर का रहने वाले अहिरवां चकेरी निवासी रमेश चालिस और महाराजपुर के तिलसहरी बुजुर्ग निवासी सर्वेश कुमार कुशवाहा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आठ शव और निकाले गए। साथ ही दो घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस घटना में 50 से ज्यादा मजदूर घायल हुए थे।
दर्ज की एफआईआर, दरोगा ने आरोपी को करवाया फरार

पब्लिक के दबाव के चलते चकेरी पुलिस और केडीए ने सपा नेता महताब आलम पर एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर दर्ज होने की जानकारी मिलते ही उसने सत्ता का इस्तमाल किया और खुद एक दरोगा ने उसे अपनी सरकारी कार से कानपुर की बार्डर पार करवाया। इसके बाद सपा नेता लखनऊ के रास्ते कहीं गुम हो गया। शुरुआत में कहा जा रहा था कि आलम की लोकेशन इंडो-बांग्लादेश बॉर्डर पर मिल रही है, लेकिन पुलिस अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद योगी सरकार सत्ता में आई तो मजदूरों के परिजनों को न्याय की आस जगी। सरकार ने आरोपी सपा नेता को अरेस्ट करने के आदेश जारी किये तो उसने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। स्टे खत्म होने के बाद से वह फरार है। पुलिस ने उसके कई मकानों को कुर्क भी कर लिया। मृतक रमेश निवासी अहिरवां चकेरी ने बताया कि सरकार ने मुआवजे की बात कही थी, लेकिन वह भी अभी तक नहीं मिली। भाई की विधवा और दो बच्चों का पेट हम ही पालने के साथ ही उसे इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।
नींव में था सुराग

समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष महताब आलम की इमारत की नींव में पहले ही सुराग थे। उसने 6 मंजिला इमारत के निर्माण का समय मतगणना के यानि 11 मार्च के पहले पूरा करने का टारगेट ठेकेदार को दिया था। इसके चलते ठेकेदार ने छत्तीसगढ़ के विलासपुर से 60 मजदूर बुलवाए थे। महताब ने सत्ता की हनक में महज छह माह के अंदर छह मंजिला इमारत तैयार करवा ली थी। निर्माण कार्य के लिए महताब आलम ने नक्शा भी कानपुर डेवलपमेंट बोर्ड से पास नहीं कराया था। सपा नेता महताब आलम को डर था कि अगर यूपी में अगर सरकार सपा की नहीं बनी तो बिल्डिंग का निर्माण दूसरी सरकार आने के चलते रोक सकता है। इसी के तहत उसने मतगणना के दिन तक बिल्डिंग बनने का फरमान ठेकेदार को सुना दिया था। जितनी जमीन पर यह इमारत तैयार कराई जा रही थी उसपर कानूनी तौर पर केवल तीन मंजिल की इमारत ही बनाई जा सकती है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना था कि केडीए इस बिल्डिंग को खुद जल्द से जल्द बनवाना चाहती थी। इसके लिए केडीए ने मोटी रकम भी वसूली थी।
सातवीं मंजिल पर पड़ रही थी स्लेप

सपा नेता घटना से कुछ मिनट पहले मौके से निकल गया था। मजदूर विशम्भर पासी ने बताया कि पांच मंजिल का काम हो गया था। छठवीं मंजिल पर मजदूर स्लेप डाल कर रहे थे। इसी दौरान बिल्डिंग ढह गई। मजदूर के मुताबिक सपा नेता ने ठेकेदार से जल्द से जल्द काम पूरा करने का आदेश दिया था। हमलोग रात में भी रोशनी के जरिए इमारत को तैयार करते थे। प्रशासन की शुरुआती जांच में पता चला कि इमारत का पिलर बेहद कमजोर और घटिया किस्म का था। इसके निर्माण सामग्री भी लोकल क्वालिटी की थी। जल्दबाजी में पिलर और एक स्लैब सूखने से पहले ही दूसरी स्लैब डलवाई जा रही थी। विशम्भर का इस हादसे में बेटा और बहू काल के गाल में समा गए और वह अब उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए लगा है। विशम्भर ने बताया कि अगर पुलिस चाहती तो आरोपी सपा नेता जेल के अंदर होता, लेकिन उसे निकलने का समय और रास्ता मुहैया कराया गया।

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