प्रदेश के कानपुर जिले के कलेक्ट्रेट के असलहा विभाग में लगातार गड़बड़ी की शिकायतें मिल रहीं थीं। इस पर पूर्व डीएम आलोक तिवारी ने पिछले साल मार्च में एसआईटी जांच की संस्तुति की थी। पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा के नेतृत्व में एसआईटी ने जांच शुरू की थी। एसआईटी से पहले प्रशासन की जांच में भी 40 हजार में करीब चार हजार फाइलें गायब होने की पुष्टि हुई थी। लेकिन अब एसआईटी जांच में यह संख्या 10 हजार के ऊपर निकल गई। जांच के दौरान असलहा लाइसेंस में हो रहे खेल की तमाम कमियां भी पकड़ी गई हैं। कई फाइलें काफी खस्ताहाल स्थिति में पाई गईं। एसआईटी के पुलिस अधीक्षक ने कलेक्ट्रेट आकर डीएम नेहा शर्मा से मुलाकात की। करीब 10 हजार फाइलों के गायब होने पर चर्चा हुई। शाशन के मंशा के अनुरुप कार्यवाही की जाएगी।
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एक बार फिर रुक सकती हैं जांच एसआईटी के आदेश पर जिलाधिकारी फिर से करीब 41 हजार असलहों की जांच कराने जा रही थी। इसके लिए चार मजिस्ट्रेट भी तैनात किए जा चुके हैं। विकास भवन व केडीए से बाबुओं को मांगा गया है, जिससे जांच को शुरू कराया जा सके। अब एसआईटी की जांच पूरी होने पर कलेक्ट्रेट की जांच रोकी जा सकती है। मनमाने बना लिया लाइसेंस जांच के दौरान एसआईटी अधिकारियों के मुताबिक जिले में स्वीकृत लगभग 41 हजार असलहों की फाइलों को स्वीकृत करते समय कानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। नियमों की धज्जियां उड़ाकर मनमाने तरीके से असलहा लाइसेंस बनाये गये। एसआईटी जांच के बाद अब रिपोर्ट जल्द ही शासन को सौंपी जाएगी। मनमानी करने पर कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। शस्त्र अनुभाग भी कार्रवाई की जद में आ सकता है।
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