scriptजान पर खेलकर पाकिस्तान से लाए थे रत्न, सिंध की ज्योति से जगमग हो रहा कानपुर | kanpur history tourist place news in hindi | Patrika News
कानपुर

जान पर खेलकर पाकिस्तान से लाए थे रत्न, सिंध की ज्योति से जगमग हो रहा कानपुर

1857 से अंग्रेजों के खिलाफ शुरू विद्रोह 1947 को रूका, जब गोरों ने भारत को आजाद करने की घोषणा की।

कानपुरDec 28, 2017 / 11:58 am

आकांक्षा सिंह

kanpur

कानपुर. 1857 से अंग्रेजों के खिलाफ शुरू विद्रोह 1947 को रूका, जब गोरों ने भारत को आजाद करने की घोषणा की। लेकिन जाते-जाते उन्होंने देश के दो टुकड़े कर दिए। जिन्ना की मांग पर पाकिस्तान नाम के राज्य का उदय हुआ और फिर वहां दंगे भड़क गए। हिन्दुओं का बड़े पैमाने पर कत्लेआम के साथ उनके धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त कर कर दिया गया। इसी बीच सिंध प्रांत स्थित झूलेलाल का एतिहासिक मंदिर था, वहां दंगाईयों ने धावा बोल दिया। मंदिर के पुजारी ऊधव दास अपने अन्य संत साथियों के साथ किसी तरह से बच कर भागने में कामयाब हुए। पुजारी अपने साथ एक अंखड ज्योति, लाल साईं की चादर, डेग, मटका लेकर पैदल चल पड़े। 20 दिन के बाद वो कानपुर पहुंचे और पीरोड स्थित अपने एक रिश्तेदार के घर पर ज्योति को रखवाया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने मदद कर मंदिर का निर्माण करवा दिया। मंदिर पर पाकिस्तान से लाई गई ज्योति बराबर अपनी रोशनी से भक्तों के अंधकार को दूर कर रही है।


बंटवारों के वक्त पाकिस्तानियों ने ढाया था सितम
शहर के पीरोड स्थित एहितासिक झूलेलाल मंदिर स्थित एक ज्योति जो पिछले 70 साल बराबर अपनी रोशनी से यहां आने वालों भक्तों के अंधकार को दूर कर उजियारा लाती है। मंदिर के पुजारी प्रभु दत्त द्धिवेदी ने बताया कि उनके बाबा ऊधव दास पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में जन्म लिया था। उनके गुरू बाबा नेभराज साहब जी ने सिंध में स्थित झूलेलाल मंदिर के पुजारी हुआ करते थे। 1947 देश आजाद होने के बाद बंटवारा हो गया और पाकिस्तान नाम के देश का उदय हो गया। सिंध प्रान्त में अल्पसंख्यकों के ऊपर बहुसंख्यकों ने धावा बोल दिया। सैकड़ों की संख्या में हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया। इसी बीच दंगाईयों की नजर झूलेलाल मंदिर पर पड़ी गई तो वो वहां भी आकर उत्पात मचाने लगे। पुजारी ऊधव दास अपने एक दर्जन संतो ंके साथ पांच धरोहरों को लेकर किसी तरह से वहां से निकलने में कामयाब रहे थे।


पैदल चलकर पहुंचे थे कानपुर
पुजारी प्रभु दत्त कहते हैं कि ऊधव दास ने अपने हाथों में अंखड ज्योति ले रखी थी तो उनके साथ मंदिर के संत अन्य चार धरोहरों को लेकर पाकिस्तान से पैदल भारत ओर के निकल पड़े। इस दौरान उन्हें सिंध के कुछ स्थानीय लोगों ने सहयोग दिया। पांच दिन तक ऊधव दास बार्डर के पास अपने एक मित्र के घर पर रहे और रात में सरहद पार कर भारत की सीमा में प्रवेश करने लगे तो पाकिस्तान के जवानों ने उन पर हमला कर दिया। ज्योति की कृपा के चलते ऊधव दास व उनके साथी किसी तरह से बच सके। घनघोर रात में उन्होंने जंगलों से होते हुए सुबह भारत की सीमा मे ंप्रवेश किया। द्धिवेदी बताते हैं कि 24 घंटे तक ऊधव दास बिना कुछ खाए पिए ज्योति को हाथों में लिए रहे। लगभग 20 दिन के बाद ऊधव दास अखंड ज्योति को लेकर कानपुर पहुंचे।


70 साल से जल रही अखंड ज्योति
पीरोड स्थित झूलेलाल मंदिर अब काफी भव्य बन गया है और यहां सुबह और शाम के वक्त सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं और अखंड ज्योति के दर्शन कर पुण्ण कमाते हैं। पुजारी ने बताया कि 70 साल से अखंड ज्योति जल रही है। हम तीन पुजरी इसकी 24 घंटे देखरेख करते हैं। ज्योति सरसों के तेल से रोशनी बिखेरती है। यहां पर जुलाई से लेकर अगस्त तक 40 दिन तक मेला लगता है। पुजारी के मुताबिक इनदिनों जो भी भक्त यहां आकर मन्नत मांगता है उसकी मुराद सौ फीसदी पूरी होती है। इस दौरान पाकिस्तान के सिंध, पंजाब प्रान्त से सैकड़ों लोग हर साल आते हैं और ज्योति के दर्शन करते हैं। पुजारी ने बताया कि मंदिर में प्रसाद के रूप में मीठा जल भक्तों को दिया जाता है। मंदिर के अंदर प्रवेश करने के दौरान महिला व पुरूषों को सिर को पकड़े से ढकना होता है। मंदिर सुबह सात से दस और शाम चार से छह बजे तक खुलता है। इस दौरान यहां पूजा-पाठ और आरती की जाती है।


ज्योति के अलावा चार रत्न लेकर आए थे कानपुर
पुजारी ने बताया कि ऊधव दास अखंड ज्योति तो अन्य संतों ने लाल साईं की चादर, डेग, मटका लेकर पाकिस्तान से लेकर चले थे। यह पांचों धरोहरें आज भी मंदिर परिसर पर मौजूद हैं। जिनके दर्शन करने के लिए हररोज भक्त आते हैं। पुजारी ने बताया कि ऊधव दास के निधन के बाद पूपा-पाठ की जिम्मेदारी हमें दी गई। पुजारी बताते हैं कि ऊधव दास बंटवारे का नाम सुनकर रो पड़ते थे। द्धिवेदी कहते हैं कि बाबा ने हमको बताया था कि 20 दिन तक अखंड ज्योति को दुश्मनों से बचा कर रखा। 20 रातें जाग की काटीं। भोजन मिलता तो खड़े-खडे कर लेते, नहीं मिलता तो पानी पीकर गुजारा कर लेते। द्धिवेदी के मुताबिक पाकिस्तान के लोगों ने सिंध में रहने वाले बहुसंख्यकों का बेहरमी से कत्ल किया। धन, सम्मान, इज्जत और मंदिर तोड़ दिए। द्धिवेदी ने बताया कि दस साल पहले हम पाकिस्तान गए थे और सिंध प्रान्त स्थित अपने घर को देखा, जहां एक पाक आर्मी ने अपना आशियाना बना रखा थो।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो