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कानपुर में प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों पर गिरेगी गाज, होंगे बंद

दुनिया में मैनचेस्टर ऑफ़ ईस्ट के नाम से कानपुर शहर अपने प्रदूषण के लिए जाना जाता है

कानपुरAug 26, 2017 / 02:25 pm

Santoshi Das

Leather Industry In Kanpur

Leather Industry In Kanpur

लखनऊ। दुनिया में मैनचेस्टर ऑफ़ ईस्ट के नाम से कानपुर शहर अपने प्रदूषण के लिए जाना जाता है. गंगा नदी में प्रदूषण और वायु प्रदूषण की वजह से इस शहर का नाम प्रदूषित शहरों की लिस्ट में ऊपर है. आपको बता दें कि एनजीटी ने गंगा में गिरने वाले कारखानों के गंदे पानी और अवैध कब्जों को लेकर आदेश जारी किये हैं. अगर इन आदेशों का पालन यहां के कारखाने नहीं मानेंगे तो 157 कारखानों पर ताले पड़ सकते हैं.
आपको बता दें कानपुर देश का ऐसा शहर है जहां चमड़ा उद्योग चमकता है. चमड़े के कारखानों की वजह से शहर में घुसते ही बदबू आपकी साँसे रोक देती है. वायु प्रदूषण के साथ ही गंगा का पानी भी यहां सबसे ज्यादा दूषित है. प्रदूषण विभाग की मानें तो यहाँ का पानी कपडे धोने के भी लायक नहीं बचा है.अब ऐसे में सरकार की सख्ती और एनजीटी के आदेशों के बाद यहाँ के औद्योगिक इकाईयों पर ताला लटकना लाजमी है.
प्रदूषण विभाग की रिपोर्ट पर गौर करें तो हाल ही में सूची बनाई है जिसमें 157 कारखानों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाज गिर सकती है.

मशहूर है कानपुर का चमड़ा उद्योग
कानपुर चमड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है.मगर अब कई कारखानों के बंद होने की आहट सुनाई दे रही है. पहले नोटबंदी की मार और फिर अवैध स्लॉटर हाउस पर लगी पाबन्दी के बाद पैदा हुआ मंदी का दौर हो.अब कुल मिलाकर कानपुर का चमड़ा उद्योग खत्म होने के कगार पर है. कुछ साल पहले तक यहाँ रेड टेप, बाटा, हैश पप्पीज, गुच्ची, लुइस वितों जैसे लगभग हर बड़े ब्रांड को चमड़े की सप्लाई कानपुर से होती थी.
कानपुर में यहां है चमड़े की मंडी
शहर के पेच बाग़, नई सड़क सबसे बड़ी चमड़ा मंडी है.साल 2014 से पहले तक यहाँ रोज़ 20 से 25 ट्रक खाल आती थी. लगभग 1200 मजदूर काम करते थे. यहाँ 500 रजिस्टर्ड कारोबारी थे. मगर अब इनकी संख्या घट गई है. पेच बाग़ में खाल को नमक लगा कर रखा जाता था. फिर टेनरी भेजा जाता था. वहां से फिनिश करके फैक्टरी में भेजा जाता था. इससे जूते , घोड़े की काठी, बेल्ट, पर्स और अन्य उत्पाद बन्दे थे. अब इसमें भी गिरावट आ रही है. मौजूदा समय में यहाँ कुल 300 ट्रेडर्स ही बचे हुए हैं.
चमड़ा उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है. एनजीटी के कड़े नियम और आदेश के साथ ही चमड़े का माल ही नहीं मिल रहा है. जब माल नहीं आएगा तो टेनरी बंद होंगे। आगे काम कैसे होगा? उम्मीद जताई जा रही है जो माल बचा है वह केवल 2 से तीन महीनों का ही है. उसके बाद बंदी शुरू हो जायेगी।
उत्तर प्रदेश लेदर इंडस्ट्रीज़ एसोशिएशन के महासचिव इफ्तिखारुल अमीन

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