कानपुर चमड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है.मगर अब कई कारखानों के बंद होने की आहट सुनाई दे रही है. पहले नोटबंदी की मार और फिर अवैध स्लॉटर हाउस पर लगी पाबन्दी के बाद पैदा हुआ मंदी का दौर हो.अब कुल मिलाकर कानपुर का चमड़ा उद्योग खत्म होने के कगार पर है. कुछ साल पहले तक यहाँ रेड टेप, बाटा, हैश पप्पीज, गुच्ची, लुइस वितों जैसे लगभग हर बड़े ब्रांड को चमड़े की सप्लाई कानपुर से होती थी.
शहर के पेच बाग़, नई सड़क सबसे बड़ी चमड़ा मंडी है.साल 2014 से पहले तक यहाँ रोज़ 20 से 25 ट्रक खाल आती थी. लगभग 1200 मजदूर काम करते थे. यहाँ 500 रजिस्टर्ड कारोबारी थे. मगर अब इनकी संख्या घट गई है. पेच बाग़ में खाल को नमक लगा कर रखा जाता था. फिर टेनरी भेजा जाता था. वहां से फिनिश करके फैक्टरी में भेजा जाता था. इससे जूते , घोड़े की काठी, बेल्ट, पर्स और अन्य उत्पाद बन्दे थे. अब इसमें भी गिरावट आ रही है. मौजूदा समय में यहाँ कुल 300 ट्रेडर्स ही बचे हुए हैं.
उत्तर प्रदेश लेदर इंडस्ट्रीज़ एसोशिएशन के महासचिव इफ्तिखारुल अमीन