कानपुर

अब नहीं विकास दुबे से डर, बिकरु गांव में प्रधानी पद के लिए इस बार 10 प्रत्याशी लड़ेंगे चुनाव

25 साल तक बिकरु ग्राम पंचायत (Vikas Dubey Fear) पर सिर्फ विकास दुबे का एकाधिकार था। जिसे विकास चाहता था वह ही बिकरु ग्राम पंचायत (Bikaru gaon) का प्रधान बनता था।

कानपुरApr 08, 2021 / 03:58 pm

Mahendra Pratap

अब नहीं विकास दुबे से डर, बिकरु गांव में प्रधानी पद के लिए इस बार 10 प्रत्याशी लड़ेंगे चुनाव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. यूपी ग्राम पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हैं। कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey Fear) की मौत के बाद बिकरु ग्राम पंचायत (Bikaru gaon) में आजादी की बयार बह रही है। 25 साल तक बिकरु ग्राम पंचायत (bikaru gaon panchayat) पर सिर्फ विकास दुबे का एकाधिकार था। जिसे विकास चाहता था वह ही बिकरु ग्राम पंचायत का प्रधान बनता था। पर वक्त बदल गया है, इस बार बिकरु ग्राम पंचायत से 10 प्रत्याशियों ने अपना पर्चे दाखिल किए हैं।
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बिकरु से सात और नेवादा से तीन ने किया नामांकन :- बिकरु ग्राम पंचायत में करीब डेढ़ हजार मतदाता हैं। जिसमें अगर संख्या अनुसार देखें तो ब्राह्मण मतदाताओं के वोट सबसे अधिक हैं। फिर यादव और मुस्लिम वोटर्स प्रधान बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। बिकरु ग्राम पंचायत में दो गांव आते हैं। एक गांव बिकरु और दूसरा डिब्बा नेवादा। इस बार बिकरु गांव की सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित है। इस पंचायत का प्रधान बनने के लिए लोगों में इतना उत्साह है कि, बिकरु से सात और नेवादा से तीन लोगों ने नामांकन कराया है।
बिकरु ग्राम पंचायत पर पुलिस की नजर :- बिकरु ग्राम पंचायत का माहौल बिल्कुल बदला हुआ है। डर और दहशत का कहीं भी नामोनिशान नहीं है। चारों तरफ बैनर—पोस्टर लगे हुए है। वोट के लिए मान और मनुहार किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि, विकास दुबे के गांव में उसकी मर्जी के खिलाफ प्रधान चुना जाएगा। पुलिस प्रशासन ने अपनी तरफ से मुस्तैद है। कोई विवाद न हो इसके लिए पुलिस लगातार नजर रखें हुए है। वैसे तो विकास के लगभग सभी दबंग साथी जेल में हैं।
बिकरु ग्राम पंचायत के 25 साल :- बिकरु ग्राम पंचायत के 25 साल के सजरे की अगर बात करें तो सबसे पहले वर्ष 1995 में विकास दुबे प्रधान हुआ था, वह निर्विरोध जीता था। वर्ष 2000 में उसने अनुसूचित जाति की सीट होने पर गायत्री को निर्विरोध प्रधान बनवाया। वर्ष 2005 में सीट सामान्य हुई तो फिर अपने भाई दीपू की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान बनाया। वर्ष 2010 में ये सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो उसने निर्विरोध अपने शागिर्द रजनीकांत को प्रधान बनाया। वर्ष 2015 में ये सीट फिर सामान्य हुई तो उसने एक बार फिर भाई दीपू की पत्नी अंजली को निर्विरोध प्रधान बनवाया था।

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