बार-बार अवकाश की योजना रद होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है संख्या बल की कमी। यह स्थिति शहर ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में है। हर साल जितने पुलिसकर्मी रिटायर हो रहे हैं पर भर्ती हर साल उनती संख्या में नहीं हो रही है। जिस कारण निचले स्तर पर पुलिस बल में भारी कमी है। साप्ताहिक अवकाश लागू होने पर हफ्ते में हर दिन भारी संख्या में पुलिसकर्मियों के लिए अवकाश होता है, ऐसे में कानून व्यवस्था पर नियंत्रण के लिए पुलिस बल की कमी खड़ी हो जाती है।
शहर में पहले भी साप्ताहिक अवकाश की कोशिश हो चुकी है। सबसे पहले २०११ में तत्कालीन एसएसपी अजय मिश्रा ने यह काम किया था। पहले जूही थाने से साप्ताहिक अवकाश शुरू किया गया था। उसके बाद जून २०१६ में तत्कालीन एसएसपी शलभ ने महाराजपुर थाने से कवायद शुरू की। फिर २०१८ में तत्कालीन एसएसपी अखिलेश मीणा ने साप्ताहिक अवकाश शुरू किया था। पर तीनों बार इसे बंद करना पड़ा।
बार-बार साप्ताहिक अवकाश रद करने के पीछे चुनाव और त्योहार भी हैं। प्रदेश में लगभग हर साल कोई न कोई चुनाव होता है। लोकसभा चुनाव तो पूरे देश में एक साथ होता है, पर राज्य स्तर पर विधानसभा चुनाव, निकाय चुनाव, एमएलसी चुनाव, ग्रामपंचायत चुनाव के अलावा छात्रसंघ और शिक्षक संघों के चुनाव होते ही रहते हैं। इसके अलावा राजनीतिक दलों और कई संगठनों के प्रदर्शन आदि के लिए भी पुलिस बल की जरूरत होती है। रही सही कसर त्योहार पूरी कर देते है, जिनमें शांति बनाए रखने के लिए पुलिस की ड्यूटी लगती है।
देश के कई राज्यों में पुलिसकर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश लागू है। इसमें केरल में पुलिसकर्मियों के लिए आठ घंटे की शिफ्ट के बेहतर नतीजे सामने आए हैं। इसके विपरीत जहां साप्ताहिक अवकाश लागू नहीं है, वहां के पुलिसकर्मियों में तनाव देखा जाता है, जिसके नतीजे कई बार गंभीर रूप में सामने आते हैं।