कोरोना महामारी काल से गुजर रहे शिक्षामित्र मानदेय को लेकर ओहापोह की स्थिति में हैं। शिक्षामित्रों का कहना था कि इस बीमारी की स्थिति में वह अपना या परिवार के सदस्यों का इलाज तक नही करा पा रहे हैं। आपस के लोगों के सहयोग से गुजारा करना पड़ रहा था। इसके अलावा कई अन्य परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ा। ऐसे में शासन तक जब यह बात पहुंची तो आनन-फानन ही शिक्षामित्रों के मानदेय जारी करने के आदेश हो गए।
जिला समन्वयक प्रबोध प्रताप सिंह ने बताया कि शिक्षामित्रों को औसतन 10 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है। जिले में कुल 2000 से अधिक शिक्षामित्र कार्यरत हैं, ऐसे में लगभग दो करोड़ रुपये की राशि शिक्षामित्रों के खातों में भेज दी जाएगी। उन्होंने बताया कि शासन में भी कई अफसर व कर्मी कोरोना संक्रमित हो गए। इस वजह से शिक्षामित्रों को देरी से मानदेय मिल रहा है। उन्होंने कहा एक से दो दिनों में बजट जारी हो जाएगा।
बीएसए (BSA) डॉ पवन तिवारी ने बताया कि वैसे तो हर माह समय से ही शिक्षामित्रों को मानदेय भेज दिया जाता है। अप्रैल में शासन से ही ग्रांट नहीं जारी हुई, इस वजह से देरी हो रही है। हालांकि जल्द ही अब शिक्षामित्रों को मानदेय मिल जाएगा।