केडीए सचिव एसपी ङ्क्षसह की मानें तो प्लास्टिक कचरे से सडक़ निर्माण में फायदा है। एक तो निर्माण लागत में कमी आएगी। १.६५ किलोमीटर लंबी और १४ मीटर चौड़ी इस सडक़ में प्लास्टिक कचरा इस्तेमाल करने से १.२५ लाख रुपए की बचत होगी। दूसरा यह सडक़ दो गुना चलेगी। आमतौर पर डामर से बनी सडक़ दो साल चलती है, तो यह सडक़ चार साल चलेगी और बारिश में खराब भी नहीं होगी।
केडीए के अधिशासी अभियंता आश्ुा मित्तल बताते हैं कि १.३० करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस सडक़ के निर्माण के दौरान ऊपरी सतह पर प्लास्टिक की परत बिछाई जाएगी। जिससे सडक़ दिखने मेें भी अच्छी लगेगी और पानी भी नीचे नहीं जाएगा। जिससे बारिश में यह सडक़ खराब नहीं होगी और दोगुना समय तक चलेगी।
केडीए ने शताब्दी नगर योजना में सडक़ निर्माण का प्रयोग किया है, जिसके सफल होने पर अन्य योजनाओं में भी इसी तरह प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से सडक़े बनाई जाएंगी। दूसरी ओर नगर निगम भी प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से दो सडक़ों का निर्माण कराएगा। हालंाकि सडक़ों का नाम अभी तय नहीं हो पाया है। जबकि मोतीझील में पहले ही प्लास्टिक कचरे से सडक़ बनाई जा चुकी है।