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कानपुर

कानपुर शूटआउट : विकास के गुर्गों की तलाश तेज, बाजारों और हाईवे पर लगाये गये पोस्टर

-शक में राडार पर सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष- पोस्टमार्टम रिपोर्ट- विकास दुबे के शरीर में 10 जख्म के निशान – विकास दुबे का खजांची जय बाजपेई गिरफ्तार, साथी डब्बू भी धरा गया

कानपुरJul 20, 2020 / 09:49 pm

Mahendra Pratap

कानपुर शूटआउट : विकास के गुर्गों की तलाश तेज, बाजारों और हाईवे पर लगाये गये पोस्टर

कानपुर शूटआउट : विकास के गुर्गों की तलाश तेज, बाजारों और हाईवे पर लगाये गये पोस्टर

लखनऊ. विकास दूबे एनकांउटर में मारा गया। साथ में पांच और करीबी साथी पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गए। चार जेल में बंद हैं। बाकी 11 की तलाश में यूपी पुलिस ने एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। चारों तरफ पुलिस की खुफिया लगी हुई पर जनता से भी कुछ मदद मिल जाए इसलिए पुलिस ने कानपुर के सभी थाना क्षेत्रों के चौराहों, बाजारों और हाईवे पर पोस्टर लगा दिए हैं। इनमें सभी आरोपियों की फोटो हैं, जिनका काम तमाम हो गया और जो पुलिस की पकड़ में आ गए हैं। उनकी फोटो पर क्रास का निशान लगा दिया गया है। बाकी बचे सभी खतरनाक आरोपियों के नाम और फोटो पोस्टर में साफ-साफ दिख रहे हैं। साथ ही उन पर घोषित इनाम की राशि भी लिखी हुई है। 10 जुलाई को हुए एनकांउटर के ठीक दस बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आई, जिसमें खुलासा हुआ कि विकास के शरीर में कुल दस जख्म हैं, छह जख्म गोलियों के हैं, जबकि अन्य चार जख्म शरीर के दाहिने हिस्से में हैं। शरीर से तीन गोलियां आर—पार हो गई थी। वहीं विकास दुबे के सबसे करीबी और उसके पैसे को इनवेस्ट करने का राजदार जय बाजपेई को गिरफ्तार कर लिया गया है। जय बाजपेई का साथी डब्बू भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। पूछताछ जारी है। यूपी पुलिस को उम्मीद है विकास के अरबों रुपए के काले धन का जल्द ही पता चल सकेगा।
विकास का एक दोस्त नीरज :- कानपुर के बिकरु गांव में 2 जुलाई रात को विकास दूबे ने अपने साथियों सहित आठ पुलिस कर्मियों को गोली से भून दिया था। उसके बाद से यूपी पुलिस और एसटीएफ ने अपना शिकंजा कस दिया है। विकास के करीबियों की तलाश हो रही है। विकास दूबे के करीबियों में एक नाम नीरज सिंह गौर का भी आ रहा है। नीरज तिगाई जिला पंचायत अध्यक्ष हैं और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। इसके साथ ही वह एक पूर्व कैबिनेट मंत्री के नाती भी हैं। नीरज का एक गन हाउस भी है। संभावना जताई जा रही है कि नीरज के गन हाउस से विकास दूबे ने कई बंदूकों और असलहों की खरीद की है। एसडीएम आनंद सिंह व डिप्टी एसपी संदीप यादव की टीम ने गन हाउस पर छापा मारकार कई रिकॉर्ड की जांच की है। पुलिस को शक है कि इसी गन हाउस से विकास को असलहा सप्लाई की गई थी। इलाकाई लोगों के अनुसार नीरज सिंह गौर और विकास दुबे का काफी याराना था। वर्ष 2018 में के जहरीली शराब कांड का नीरज मुख्य आरोपी भी था। विकास दुबे की मदद से नीरज बच गया। सात माह पूर्व बिना लिखा-पढ़ी के कारतूस बेचने के मामले में नीरज आरोपी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच :- बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह पता चल रहा है कि पुलिस की तीन गोलियां विकास के शरीर को बेंध कर आर-पार हो गई थीं। पूरे शरीर में जख्म के 10 निशान मिले हैं। एक गोली दाहिने कंधे और अन्य दो बाएं सीने की तरफ लगी थीं। दाहिने हिस्से में सिर, कोहनी, पसली और पेट में चोटें आई थीं। छह जख्म गोलियों के हैं। जबकि अन्य 4 जख्म शरीर के दाहिने हिस्से में थे। ये गोलियां लगने के बाद गिरने से हुए। यूपीएसटीएफ ने कहा था कि विकास ने उन पर गोली चलाई, तब उन्होंने जवाबी कार्रवाई की। पोस्टमाॅर्टम रिपोर्ट में यह साफ नहीं हो सका है कि गोली कितनी दूरी से चलाई गईं।
विकास का मुख्य खजांची गिरफ्तार :- विकास के कारोबार का मुख्य खजांची जय बाजपेई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। साथ में बउवन के जीजा डब्बू को भी पकड़ लिया गया है। दोनों शातिरों से पूछताछ चल रही है। जय बाजपेई और डब्बू पर षड्यंत्र रचने और आर्म्स एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज की गई है। सोमवार को कोर्ट में पेश करने के बाद इन्हें जेल भेजा जाएगा। आयकर विभाग की बेनामी विंग (शाखा) और आयकर निदेशालय (जांच) ने चार हजार रुपए की नौकरी के बाद अचानक ही अरबपति बने जय बाजपेई सभी गोरख धंधे की जांच शुरू कर दी है। जय के दो और पत्नी के एक खाते को जांच के दायरे में लिया गया है। परिजनों सहित जय से कारोबारी लेन-देन करने वाले 7 और लोगों को भी जांच के दायरे में लाया गया है।
जांच टीम की तैयारियां :- जांच टीम को अंदेशा है कि विदेशों में संपत्ति का सौदा बेनामी खातों और हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया है। आयकर टीम उन खातों और हवाला रैकेट तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। छोटा सा सुराग हाथ लगते ही टीम फेमा के तहत कारवाई करने को तैयार बैठी है। कानपुर में खरीदी गई सम्पतियों के स्रोत क्या हैं, इसकी जांच एक अलग टीम कर सकती है। साथ ही 50 हजार रुपए सालाना कमाने वाला व्यक्ति 7 साल में 12 लाख का आईटीआर कैसे भरने लगा, इसे भी जांच में शामिल किया गया है।

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