मशरूम को गेहूं के भूसे और गन्ने की खोई पर अलग-अलग तापमान और आर्दता देकर उगाया गया। 25 दिन से कम समय में मशरूम की नई प्रजाति तैयार हो रही है। नई प्रजाति अधिक दिनों तक टिकाऊ है साथ ही मशरूम में रोग लगने की संभावना भी नहीं है। शोधकर्ता वैज्ञानिक व प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रो. समीर कुमार बिस्वास का कहना है कि पौधों से निकलने वाले दो हारमोन इंडोल एसिटिक एसिड और जिबरलिन की मदद से मशरूम की नई प्रजाति में विटामिंस, एंटीऑक्सीडेंट (विटामिन-बी) इंजाइम्स और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व बढ़ाने में कामयाबी मिली है। यह तत्व बीमारियों खासतौर से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व वायरस संक्रमण से बचाने को बेहतर साबित हो रहे हैं। चार वर्षों तक शोध हुआ है। अब इसका उत्पादन किया जा सकता है। शोध को अन्तरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने की कोशिश हो रही है।
प्रो. समीर कुमार बिस्वास के मुताबिक मशरूम कुपोषण से दूर करने में सहायक होती है। बच्चों को इसे नियमित डाइड में दिया जाना चाहिए। गम्भीर और लम्बे समय से बीमारियों से पीडि़त मरीजों क्योंकि प्रोटीन और जरूरी नौ एमिनो एसिड और जरूरी कार्बोहाइड्रेट, खनिज तत्वों, कापर, फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन, सोडियम, सेलिनियम आदि की संतुलित मात्रा मिल रही है। प्रो. बिस्वास के मुताबिक लौह तत्व एवं फोलिक एसिड के कारण यह रक्त की कमी की शिकार अधिकांश शाकाहारी महिलाओं एवं बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार है। अन्य प्रजातियों की अपेक्षा इसमें पानी की मात्रा कम है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की डाइड में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने स्वास्थ्य विभाग को मशरूम के अधिक से अधिक इस्तेमाल की संस्तुति की है।
मशरूम में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करते है और इसमें कैलोरी अधिक नहीं होती है इसलिए यह वजन घटाने में सहायक होता है। मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहता है। नियमित तौर पर मशरूम खाने पर जरूरत का 20 प्रतिशत विटामिन डी मिल जाता है। मशरूम में बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, वजन और ब्लड शुगर लेवल नहीं बढऩे देता। इसके सेवन से जल्दी भूख नहीं लगती। बालों और त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। हाइ न्यूट्रियंट्स पाए जाते हैं, इसलिये यह दिल के लिए अच्छे होते हैं। मशरूम का सेवन रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाये रखता है।
मशरूम पर कुछ शोध में पता चला है कि इसके सेवन से प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर से बचाव होता है। क्योंकि इसमें बीटा ग्लूकन और कंजुगेट लानोलिक एसिड होता है जो कि एक एंटी कारसीजोनिक प्रभाव छोड़ते हैं। शोधकर्ता प्रो. समीर कुमार बिस्वास के अनुसार, कुपोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की समस्या से होने वाली बीमारियां बड़ी समस्या बन रही हैं। इसके लिए जरूरी है कि लोगों की डाइट में बदलाव किया जाए। डाइट में ऐसे तत्वों का समावेश किया जाना जरूरी है जिससे बीमारियों से बचाया जा सके। मशरूम इसके लिए नई प्रजाति बेहतर साबित होगी। अस्पतालों और आंगनबाड़ी केन्द्रों से मशरूम का प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। इसकी संस्तुति भी की जा रही है।