बीजेपी की तरह बसपा का दांव लोकसभा चुनाव 2014 से पहले बतौर उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह ने बसपा के वोटबैंक में सेंधमारी की रणनीति बनाई। यूपी को छह भागों में बांट कर गैर जाटव दलितों को जोड़ने के लिए भाजपा नेताओं को जमीन पर उतार दिया। बूथों पर दलित समाज के युवाओं को जिम्मेदारी दी गई। उन्हें बकाएदा फोन के साथ एक-एक कार्ड दिए गए। कानपुर-बुंदेलखंड के करीब 20 हजार बूथों में 10 हजार पर दलित बूथ प्रमुख बनाए गए। जिसका परिणाम यह रहा कि करीब 15 लाख से ज्यादा दलित बाहूल्य क्षेत्र बुंदेलखंड के किले में पहली बार भगवा रंग फहराया। मायातवी के किले को ध्वस्त कर कमल खिलाने के बाद यह सिलसिला विधानसभा चुनाव 2017 तक जारी रही। इसी के चलते अब बसपा प्रमुख मायावती भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए अपने पदाधिकारियों को गरीब सवर्ण जातियों को अपने पाले में लाने को कहा है।
भाजपा की वोट पर सेंधमारी सामान्य में ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य सहित अन्य जातियां आती हैं, जिन्हें भाजपा को वोटर्स माना जाता है। यह तबका सदियों से बीजेपी को सपोर्ट करता रहा है, लेकिन इन्हीं जातियों का एक बड़ा धड़ गरीबी रेखा और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। बीएसपी की नजर बीजेपी के उन वोटर्स पर है जो गरीबी रेखा के नीचे जीने को मजबूर हैं। बीएसपी ऐसे परिवारों को पार्टी में शामिल करेगी और उनके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करेगी। बसपा के एक पूर्व विधायक ने बताया कि सवर्ण जातियों में एक तबका आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद गरीबी रेखा के नीचे जीव व्यापन कर रहा है। बसपा प्रमुख उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए पिछले एक दशक से लगी हुई हैं। बसपा कार्यकर्ता अब इन गरीब सवर्णो की आवाज बनेंगे और उन्हें भी सरकार द्धारा दी जा रही योजनाओं का लाभ दिलवाएंगी।
युवाओं को किया जाएगा शामिल बसपा पदाधिकारियों से कहा गया है कि वो सवर्ण इलाकों में जाएं। जहां गरीब तबगा रहता हो। वहां चौपाल लगाएं और 2007 से लेकर 2012 तक बतौर सीएम मायावती के कार्यकाल की उन्हें जानकारी दें। साथ इन इलाकों में बेरोजगार युवकों को पार्टी में जोड़ें। पदाधिकारियों को कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2019 में पहली बार मतदाता बनने वाले युवाओं से सीधे संपर्क करें और उन्हें पार्टी के संगठन में पद दें। बूथों पर उन्हें तैनात करें। साथ ही पढ़े लिखे गरीब सर्वण मतादाताओं को आईटी सेल में भी शामिल कर भाजपा सरकार की पोल सोशल मीडिया के जरिए खोलें। पूर्व विधायक ने बताया कि 2007 में बसपा को सवर्णो ने बढ़चढ़ कर वोट दिया था और इसी के कारण पार्टी सत्ता में आई। 2012 के चुनाव के वक्त मतदाता कुछ हद तक बसपा के बजाय भाजपा व सपा में चला गया। लेकिन अब फिर से इस तबके को पार्टी से जोड़ा जा रहा है।
दिया गया टारगेट बसपा के कार्यकर्ता गाव-गांव और शहर में गरीब संवर्ध परिवारों से संपर्क कर रहे है। बीएसपी के सभी कार्यकर्ताओ को टारगेट दिया गया है कि एक दिन में लगभग 100 परिवारों से संपर्क करना है। कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों की 10 लोकसभा सीटों के लिए गरीब सवर्णो को पार्टी से जोड़ने के लिए बूथों पर कई टीमें काम कर रही हैं। अधिकतर नेता सामान्य समाज से हैं और वो मायातवी के नीतियों के बारे में उन्हें जानकारी दे रहे हैं। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी की जनविरोधियों की पोल खोल रहे हैं। बसपा नेता राशन कार्ड, सरकारी आवास, टॉयलट, पेयजल सहित अन्य सरकारी योजनाओं को गरीब सवंर्णो को दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन के पास भी जा रहे हैं।