कार्यशाला के दौरान मुख्य वक्ता हैदराबाद के डॉ. राव ने बताया कि पैंक्रियाज के साथ छोटी आंत भी जिम्मेदार होती है। इससे भी इंसुलिन बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। मेटोबोलिक इंडोस्कोपी विधि से पैंक्रियाज व छोटी आंत के बीच मौजूद दीवार को लेजर से अपग्रेड करते हैं। इससे इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाएं बनने लगती हैं। इस ऑपरेशन में एक लाख रुपए से कुछ कम खर्च आता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा कम करने से भी डायबिटीज का खतरा कम होता है। मोटापा कम करने के लिए इंडोस्कोपी सही विधि है। इससे लिवर छोटा होने लगा है। जल्द ही इससे बेरियाटिक सर्जरी भी हो सकेगी। इसके अलावा पैंक्रियाज, पेट में ट्यूमर सहित पेट की कई बीमारियों के इलाज के लिए रोबोटिक इंडोस्कोपी, कैप्सूल इंडोस्कोपी की विधियां भी मौजूद हैं।
नई दिल्ली के आईएलवीएस की हेपेटोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. राखी मेवाल ने बताया कि ४० साल की आयु पार करने के बाद हर व्यक्ति को लिवर फंक्शन टेस्ट और फाइब्रोस्कैन जांच जरूर करानी चाहिए। उन्होंने बताया हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण से बचने के लिए ये जांचें जरूरी हैं। इतना ही नहीं जो लोग इसका टीका लगवा चुके हैं वे भी पांच साल के अंतराल पर यह जांच जरूर कराएं।
तनाव, फास्टफूड और ज्यादा वसायुक्त भोजन से भी पेट की बीमारियां पैदा होती हैं। तनावग्रस्त लोगों में शारीरिक श्रम की कमी औ गलत खानपान से एसिडिटी, कब्ज, पेप्टिक अल्सर, आईबीएस की समस्या पैदा हो रही है।