शहर में सक्रिय गिरोह अब तक करीब 200 से ज्यादा लोगों को निशाना बना चुका है। जाजमऊ के लेदर कारोबारी फरहान का एक नंबर कई बैंक खाते में दर्ज है। अचानक एक दिन कई बार फोन मिलाने के बावजूद उनका फोन नहीं मिला। मोबाइल कंपनी को दिखाया तो बोले सिम खराब हो गया होगा और नया सिम दे दिया। एक हफ्ते बाद खाता चेक किया तो चार लाख गायब थे। इस दौरान मोबाइल फोन बंद था। इसी तरह स्वरूप नगर निवासी एक डॉक्टर का मोबाइल नंबर बिना उनकी जानकारी के किसी दूसरे नंबर पर पोर्ट हो गया। अचानक एक दिन खाता चेक किया तो उससे डेढ़ लाख रुपए गायब थे। दूसरी ओर चुन्नीगंज निवासी सेवानिवृत्त नगर निगम कर्मचारी मदनलाल का केनरा बैंक में खाता है। वह एक हफ्ते पहले बैंक से पेंशन निकालने के लिए गए थे। 25 हजार की चेक लगाते ही मैनेजर ने बताया कि खाते में केवल 9 हजार रुपए हैं। स्टेटमेंट देखने पर पता चला कि उनके खाते से तीन दिन में सवा चार लाख रुपए निकल गए। इस दौरान उनका मोबाइल फोन अचानक बंद हो गया था।
नेट बैंकिंग समेत अन्य ट्रांजेक्शन से भी मोबाइल नंबर का सीधा संबंध होता है। साइबर ठगी करने वाले मोबाइल कंपनी की मदद से संबंधित मोबाइल नंबर का दूसरा सिम जारी करा लेते हैं। दूसरा सिम जारी होते ही पहले से जारी सिम काम करना बंद कर देता है। फंड ट्रांसफर करते वक्त ओटीपी खाताधारक के मोबाइल नंबर जाने के बजाय साइबर ठग के पास नए नंबर पर जाता है। इससे ठगी के शिकार व्यक्ति को पैसा निकलने की जानकारी भी नहीं हो पाती है। पलक झपकते ही बैंक खाते से पूरी रकम साफ हो जाती है। पैसा दूसरे खाते में चला जाने के बावजूद बैंक किसी ग्राहक की मदद नहीं कर पाते। यह जानते हुए भी कि किस खाते में पैसा गया है। पुलिस अफसरों के मुताबिक फोन का सिम काम न करने पर तत्काल जानकारी करनी शुरू कर दें और सबसे पहले संबंधित बैंक खाते को जरूर चेक करें।
बचत खातों को ज्यादातर निशाना बनाया जा रहा है। क्येांकि इन खातों को लेकर खातेदार ज्यादा सक्रिय नहीं होता। ठगों के निशाने पर ज्यादातर नामचीन, बुजुर्ग और सरकारी नौकरीपेशा लोग हैं। इन्हें बैंकिंग की जानकारी कम और उनके पास समय भी कम होता है। साइबर ठगों के निशाने पर ऐसे ही लोग है। ज्यादातर लोगों के बचत खाते से रकम गायब हुई है। बाकी खातों में साइबर ठग कम हाथ डाल रहे हैं। उनके निशाने पर सेवानिवृत्त कर्मचारी, अफसर और महिलाएं है। क्राइम ब्रांच के पास आए मामले में इन वर्ग के लोग ज्यादा शिकार हुए हैं।
साइबर ठगों का यह खेल शुक्रवार से रविवार के बीच होता है। शुक्रवार को किए गए खेल का पता जब तक खाताधारक को चलता है तब तक शनिवार और रविवार की बंदी के कारण खाताधारक को बैंक और मोबाइल कंपनी से मदद नहीं मिल पाती है और इस बीच साइबर ठग खाता खाली कर देते हैं। इसलिए शुक्रवार से रविवार के बीच सिम अगर बंद होता है तो यह साइबर ठग का खेल हो सकता है।