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कानपुर

दामाद के कदम घर में पड़ते ही हुआ कुछ ऐसा कि मां नहीं दे सकी बेटी की शादी

द्वारचार के दौरान ही मां की मौत, पंचायत घर में शव रखकर घर पर पूरी हुई शादी

कानपुरNov 24, 2019 / 01:36 pm

आलोक पाण्डेय

दामाद के कदम घर में पड़ते ही हुआ कुछ ऐसा कि मां नहीं दे सकी बेटी की शादी

दामाद के कदम घर में पड़ते ही हुआ कुछ ऐसा कि मां नहीं दे सकी बेटी की शादी

कानपुर। जिस मां ने सारी उम्र अपनी बेटी को दुल्हन के रूप में विदा करने के सपने देखे वह उसके फेरे तक नहीं देख सकी। जैसे ही बारात दरवाजे पर पहुंची तो मां की हालत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गई। जब तक घरवाले उसे अस्पताल ले गए, उसकी मौत हो चुकी थी। बेटी की शादी में बाधा न आए इसलिए गांववालों ने चुपचाप बिना किसी को इस हादसे की खबर दिए शव को पंचायतघर में छिपाए रखा और बेटी को विदा करने से पहलेउसकी मां की मौत को जाहिर नहीं होने दिया।
घाटमपुर के मुइया गांव का मामला
यह मामला कानपुर घाटमपुर का है। यहंा के मुइया गांव का निवासी गुसाईंलाल प्रजापति गांव का चौकीदार है। उसने अपनी बेटी मंजू की शादी ग्राम तिलसहरी (महराजपुर) कानपुर निवासी जीत कुमार प्रजापति के साथ की थी। बीते गुरुवार को बारात आई। देर शाम द्वारचार की रस्में शुरू हुईं। इसी दौरान मंजू की मां शांति देवी (55) को अचानक दौरा पड़ा और वह गिर गई। डाक्टर के पास ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।
किसी बाराती को नहीं लगी मौत की भनक
जिस दौरान स्टेज पर वर-वधू के जयमाल की रस्म हो रही थी। गांववालों ने किसी को शांति की मौत की खबर दिए बिना विवाह की रस्में जारी रखने की योजना बनाई। जिसमें गांव के कुछ लोगों ने मुख्य भूमिका निभाई। गांव के ओमनरायन तिवारी, छेदालाल प्रजापति, विपिन तिवारी, मेवालाल, कल्लू मिश्रा और रामप्रसाद ने बताया कि उन लोगों ने गांववालों के साथ अपनी देखरेख में शादी की रस्मों को विधि-विधान पूर्वक संपन्न कराया और शुक्रवार की सुबह करीब 9 बजे बारात विदा कर दी गई।
विदा के बाद गांव में छाया मातम
बेटी की बारात विदा होने के बाद दोपहर में शांति देवी की अंत्येष्टि की तैयारी शुरू की गई और मूसानगर (कानपुर देहात) के यमुना घाट पर उसका दाह-संस्कार किया गया। शनिवार की सुबह मुइया गांव में गोसाईंलाल प्रजापति के घर मातम दिखा। जिस आंगन में बेटी की शादी का मंडप गड़ा था वहां पर सन्नाटा पसरा हुआ था। शादी में आई महिलाएं और रिश्तेदार भी अपने घर चले गए थे। मकान के दरवाजे के बाहर गोसाईंलाल के परिवार के पुरुष सदस्य एक जगह बैठे दिखे।

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