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कानपुर

चुनाव चिन्ह वाली माचिसों का बना दिया संग्रहालय

१५०० से अधिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह वाली एक लाख माचिसप्रत्याशी अपने निशान वाली माचिस बांटकर करते थे चुनाव प्रचार
 

कानपुरApr 08, 2019 / 03:22 pm

आलोक पाण्डेय

Museum of match box

चुनाव चिन्ह वाली माचिसों का बना दिया संग्रहालय

कानपुर। शौक बड़ी चीज है, जिसे लग गई तो जल्दी नहीं छूटती। शौक भी तरह-तरह के होते हैं। ऐसा ही एक शौक है पुरानी चीजों के संगह का। किसी को पुराने सिक्के जमा करने का शौक होता है तो कोई पुरानी डाक टिकटें जमा करता है। शहर के आलोक मेहरोत्रा को पुरानी माचिस जमा करने का शौक है, उनके पास वे माचिसें हैं जो आज के लोगों ने कभी देखी भी नहीं होंगी।
चुनाव के दौरान बांटते थे प्रत्याशी
अपने चुनाव चिन्ह का आसानी से घर-घर तक प्रचार करने के लिए पुराने समय में प्रत्याशी अपने चुनाव चिन्ह माचिस पर छपवाकर घर-घर बांटते थे। माचिस का हर घर में प्रयोग होता है, इसलिए प्रचार का यह सबसे सशक्त माध्यम था। उस समय की माचिस भी आलोक के संग्रह में शामिल हैं।
बदल गएचुनाव चिन्ह
बात इतनी पुरानी है कि शायद हमने इस बारे में सुना भी नहीं होगा। आज कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा है पर तब कांग्रेस दो बैलों की जोड़ी वाले निशान पर चुनाव लड़ती थी। १९५२ से १९५७ तक यही चिन्ह रहा, फिर बदल गया। समता पार्टी भी उस समय मशाल निशान पर चुनाव लड़ती थी। उस दौर की माचिस भी आलोक के पास ही देखने को मिलती है।
एक लाख माचिस का संग्रह
आलोक का माचिसों का संगह छोटा-मोटा नहीं है। उनके पास करीब एक लाख पुरानी माचिसें हैं। इनमें दो इंच से लेकर डेढ़ फीट लंबी तक माचिस है। कीमत की बात करें तो पांच पैसे से लेकर ५०० डॉलर कीमत वाली माचिस भी इस अजीबोगरीब संग्रह में शामिल है।
१९८० से शुरू किया संग्रह
माचिसों का यह संग्रह आलोक ने १९८० से शुरू किया था। उस समय आलोक कपड़े की दुकान पर बैठते थे। दूर-दूर से लोग आते थे और उनके पास मिली माचिस से वह खेलने लगते, बस तभी से यह शौक उन्हें लग गया और उन्हें इन्हें संग्रहित कर रखा है।

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