संकट की घड़ी में एकसाथ
चुन्नी बेगम ने कहा कि संक्रमण से बचाव के लिए हमनें अपने घर में ही नमाज अदा करने का फैसला किया है। इसके अलावा लोगों को कोरोना के बारे में जानकारी देने के साथ घरों में ही नमाज अता करने की अपील कर रही हैं। चुन्नी देवी ने बताया कि हमारे परिवार में अधिकतर लोगों के नाम हिन्दू समाज से रखे हैं। बेटा गफ्फूर की शादी मीरा के साथ हुई है। बहू दोनों धर्मो को मानती है। हमारा परिवार इस संगट की घड़ी में देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। खुद के पैसों से गरीबों को माॅस्क और भोजन के पैकेटों का वितरण कर रहे हैं।
घर पर अता की नमाज
पूरा परिवार पिछले कई दिनों से घर पर ही नामज अता कर रहा है। जुमे की नमाज भी घर में पढी। मीरा ने कहा कि हिन्दुस्तान ऐसा देश है तो हर तरह की समस्याओं से लड़ने में सक्षम हैं। हम अपने मोहल्ले की बहन-भाईयों और बुजुर्गो को घर पर रहने की सलाह दे रहे है। लोग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाॅकडाउन का इमानदारी के साथ पालन करते हैं। मोहल्ले में यदि किसी को कोई दिक्कत होती है तो हम उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं। मीरा ने लोगों से अपील की वह एकान्तवास में रहें और कोरोना को हराने में सरकार की मदद करें।
किस्से का किया जिक्र
चुन्नी बेगम ने बताया कि ज बवह 15 वर्ष की थी तो हमारे गांव में महामारी आई। घरों में एकाएक चूहों की मौत होने लगी। इससे हैजा फैल गया। सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गए। हमारे बुजुर्गो ने घरों पर ताले जड़कर गांव के बाहर झोपड़ी में 60 दिन बिताए थे। उस वक्त नमक-रोटी खाकर दिन गुजारे। तब अच्छे डाॅक्टर भी नहीं थे। सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था। लेकिन गांववालों के अंदर हौसला था और इसी के बल पर उस वक्त हैजारूपी काल पर जीत हुई थी। कुछ ऐसे ही हालात फिर बन रहे हैं और हमारी लोगों से अपील है कि 21 दिन लाॅकडाउन का इमानदारी से पालन करें।
घर पर अता करें नमाज
शहरकाजी व जमीयत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीन उल हक उसामा कासमी ने कहा कि संक्रमण से बचाव के लिए घरों में ही नमाज अदा करने का फैसला लिया गया है। विपरीत परिस्थितियों में शरीयत जुमा व जमात के साथ नमाज में शिरकत न करने की इजाजत देती है। शहर के 30 से अधिक उलमा व मुफ्तियों ने भी इस पर सहमति जताई है। मस्जिद में पांचों वक्त अजान दी जाएगी और यहां सिर्फ इमाम, मोअज्जिन (अजान देने वाले) व खुद्दाम (सेवक) ही नमाज अदा कर सकेंगे ताकि मस्जिदों में जमात भी होती रहे। अजान देने के बाद ऐलान भी किया जाए कि घरों में ही नमाज पढ़ें। जुमा पर भी घरों में रहकर जोहर की नमाज अदा करें।