ब्रिटिश संसद के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि चुनाव जीतने वाले सर्वाधिक सांसद भारतीय मूल के हैं। इस बार तीन नए भारतवंशी पहली बार जीते हैं। वहीं पूर्व में विजेता रहे 12 सांसदों ने अपनी सीटें बरकरार रखी है। भारतीय मूल के गगन मोहिंद्रा और क्लेयर कोटिन्हो कंजर्वेटिव पार्टी से तो कानपुर के मूल निवासी नवेन्दु मिश्रा लेबर पार्टी से पहली बार जीते हैं।
कानपुर का बेटा ब्रिटेन में सांसद बना तो शहर में जश्न का माहौल बन गया। दूसरी ओर नवेन्दु की ननिहाल गोरखपुर में भी लोगों ने मिठाई बांटी। नवेन्दु कानपुर के आर्य नगर में रहने वाले दिवंगत वैद्य अयोध्या प्रसाद के पौत्र हैं। पिता प्रभात रंजन मिश्रा की इंग्लैंड में नौकरी लगने के बाद पूरा परिवार के साथ 2001 में वहीं रच-बस गए हैं, पर कानपुर आना-जाना नहीं छूटा। बचपन की यादें समेटे पूरा परिवार आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है तो ननिहाल गोरखपुर के लोग भी फूले नहीं समा रहे हैं।
सांसद बनने के बाद उन्होंने सबसे पहले ताऊ विदु शेखर मिश्रा के पास फोन किया और इसकी सूचना दी। वह अपने ताऊ को ही अपना राजनैतिक गुरु भी मानते हैं। करीब साल भर पहले वह आर्य नगर में रहने वाले चाचा के परिवार से मिलने आए थे। सांसद बनने के बाद उन्होंने जल्द ही आर्य नगर आकर ताऊ और परिवार के लोगों से आशीर्वाद लेने की बात कही है।
डॉ. हिमांशु ने बताया कि चाचा प्रभात रंजन की पढ़ाई पूरी होने के बाद कुछ समय मुंबई और फिर इंग्लैंड में एक बड़ी चॉकलेट कंपनी में लग गई। फिर वह पत्नी मीनू मिश्रा और तीन बच्चों नवेन्दु, दिव्येन्दु और बेटी मिताली के साथ वहीं शिफ्ट हो गए। वर्तमान में चाचा जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में निदेशक हैं।