कानपुर देहात के तहसील मुख्यालयों पर अग्निशमन केंद्र निर्माण का निर्देश भले है लेकिन ये अब तक कागजी ही है। वर्ष 2015 में रसूलाबाद के लिए 2.96 करोड़ व डेरापुर के लिए 2.30 करोड़ से अग्निशमन केंद्र भवन निर्माण की मंजूरी मिली थी। मौजूदा समय में रसूलाबाद में अग्निशमन केंद्र भवन बन कर तैयार है लेकिन बिजली कनेक्शन की अड़चन से भवन हस्तगत नहीं हो सका है। इधर डेरापुर में भवन अधूरा पड़ा है। मैथा तहसील में अग्निशमन केंद्र भवन निर्माण की भूमि तय नहीं हो सकी है। गर्मी शुरू होने संग फायर सीजन की शुरुआत हो गई है।
फिर भी दमकल विभाग के आकंडों पर गौर करें तो वर्ष 2017 में आग लगने की 636 घटनाएं हुई थी। इसमें 7 मनुष्य व 20 मवेरी जल मरे थे। वर्ष 2018 में 899 आग लगने की घटनाएं हुई जिसमें 55 मवेशी जलने से मरे। हालाकि कोई इंसानी जान नहीं गई। चालू वर्ष में अब तक 53 आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। बताते चलें कि जिले की मौजूदा आबादी लगभग 25 लाख है। आग लगने पर अग्निशमन जवानों को मौके तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। दरअसल 3142.88 वर्ग किमी क्षेत्रफल में ये जिला फैला है। लंबी भागदौड़ के बीच जब तक दमकल जवान पहुंचते हैं अधिकांश घटनाओं में सब खाक हो चुका होता है।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी विश्वरूप बनर्जी ने बताया कि अग्निसुरक्षा व जीवन रक्षा के लिए सभी तहसीलों में अग्निशमन केंद्र भवन होने जरूरी है। मौजूदा समय में स्वीकृत के सापेक्ष फायरमैन व अन्य स्टाफ कम है। गाड़ियां भी कम हैं।
एक नजर में स्वीकृत व उपलब्ध बल पद स्वीकृत उपलब्ध कमी एफएसओ 3 0 3 एफएसएसओ 5 1 4 लीडिग फायरमैन 10 8 2 चालक 11 7 4 फायरमैन 68 33 35