प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर नगर निगम सड़कों का निर्माण करेगा. इसके लिए अभी ट्रायल के तौर पर 1 किमी. सड़क का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है. माइक्रो सरफेसिंग कर सड़कों के ऊपर 6 मिमी. की कोटिंग की जाएगी, इससे न तो नमी और न ही पानी की एक भी बूंद सड़क के नीचे जा पाएगी. इससे सालों तक सड़क में एक भी गड्ढा नहीं होगा.
शहर में इस तकनीक का इस्तेमाल कर जोन-4 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से मोतीझील चौराहे तक 1 किमी. रोड को माइक्रो सरफेसिंग किए जाने का प्रस्ताव है. पूर्व पीडब्ल्यूडी अधिकारी वीके मौर्य बताते हैं कि माइक्रो सरफेसिंग तकनीक के अंतर्गत कंक्रीट मिक्स्चर में एक विशेष केमिकल मिलाया जाता है, जो सड़क को सूखने के बाद मजबूती प्रदान करता है. इससे सड़क की ऊपर सतह काफी लंबे समय तक चलती है और सड़क में एक भी गड्ढा नहीं होगा. वहीं इस जर्मन तकनीक से सड़क पर पानी और नमी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. आधुनिक मशीनों के माध्यम से 6 मिमी. मोटी केमिकल की लेयर को बिछाई जाएगी.
माइक्रो सरफेसिंग तकनीक काफी महंगी होने की वजह से इसके निर्माण को लेकर नगर निगम काफी विचार कर रहा है. फिलहाल प्राइवेट कंपनी ने 1 किमी. सड़क पर माइक्रो सरफेसिंग करने के लिए 42 लाख का खर्चा बताया है. इसको लेकर नगर आयुक्त ने इस मामले में हर तकनीकी पहलू की जांच करने के लिए चीफ इंजीनियर को निर्देश दिए हैं.
प्राइवेट कंपनी द्वारा 1 साल पहले भी इस तकनीक से मोतीझील कैंपस में ट्रायल के तौर पर सड़क का निर्माण किया था. तत्कालीन नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने यह ट्रायल करवाया था. लेकिन वित्तिय संकट से जूझ रहे नगर निगम ने इस तकनीक को अपनाने में असमर्थतता जताई थी.