एडीजी अविनाश चंद्र ने कहा है कि सीओ से लेकर एडीजी दफ्तर पहुंची शिकायतों पर 15 दिन के भीतर फीडबैक लिया जाएगा। अफसर के आदेश करने के बाद मामले में क्या कार्रवाई हुई, पीडि़त संतुष्ट है या नहीं यह सब जानने के लिए अफसर सीधे पीडि़तों से फोन पर बात करेंगे। इससे पुलिस की कार्यशैली में पारदर्शिता आएगी और पीडि़त की फौरन मदद होगी। एसएसपी, आईजी और एडीजी दफ्तर में भी यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। मुख्यमंत्री के जनशिकायत पोर्टल के माध्यम से आने वाली सभी शिकायतों में भी यह व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया गया है।
एडीजी अविनाश चंद्र ने बताया कि अधिकांश मामलों में अफसर तक शिकायत पहुंचने के बाद भी पीडि़त की मदद नहीं हो पाती है। इसके पीछे पुलिस की बेपरवाही हो सकती है। इसके चलते पीडि़त एक ही शिकायत सीओ, एसपी, एसएसपी, आईजी और एडीजी समेत उच्च अधिकारियों तक एक ही शिकायत लेकर बार-बार पहुंचता है। एडीजी ने इस तरह की समस्या को देखते हुए आदेश जारी किया है कि सीओ और एसपी स्तर के अफसर आने वाली सभी शिकायतों को सूचीबद्ध करेंगे।
एडीजी अविनाश चंद्र ने बताया कि छोटे-छोटे झगड़े आगे चलकर हत्या और बड़ी वारदात की वजह बनते हैं। इसलिए पिछले दो सालों में दर्ज हुई एनसीआर की दोबारा जांच करने का आदेश दिया गया है। मामलों में पीडि़त संतुष्ट हैं कि नहीं या फिर मौजूदा समय में क्या स्थिति है। अब पुलिस दो साल के भीतर दर्ज एनसीआर में पीडि़तों से बात करके मौजूदा स्थिति का पता लगाएगी।