हथेरुआ गांव में मुरली संखवार (80) पत्नी रामदेवी (75) के साथ अलग घर में रहते थे। मुरली संखवार का बेटा बिहारी अपनी पत्नी और बेटे अरविंद व बहू साधना के साथ गांव के बाहर अलग रहते थे। बताया गया कि बुजुर्ग दंपति को एक हफ्ते से बुखार और खांसी आ रही थी। दंपति में कोरोना जैसे लक्षण थे। लेकिन किसी ने उनका उपचार नहीं कराया, न ही किसी ने हाल पूछे। शवों को देखे अंदाजा लगाया गया कि तीन दिन पहले मौत हुई थी। घर में मृत महिला सोमवती के हाथ में बर्तन था और मृतक मुरली का शव चारपाई पर था। जिससे अनुमान लगाया गया कि बुजुर्ग महिला प्यास लगने पर पानी लेने जा रही होगी।
वहीं घर के साफ सुथरे पड़े चूल्हे को देख ये स्पष्ट हुआ कि कई दिनों से बुखार आने की वजह से बुजुर्गो ने खाना भी नहीं खाया था। बीमारी के चलते परिवार और पड़ोसियों ने दूरी बना रखी थी। जबकि दंपति की वद्धा पेंशन आती थी, इसके साथ ही खेतों भरपूर अनाज मिलता था। घाटमपुर कोतवाल धनेश प्रसाद का कहना है कि दंपति के शवों का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। दंपति बेटे-बहू से अलग रहते थे, इसके साथ ही दंपति घर से बहुत ही कम बाहर निकलते थे। इसलिए किसी ने ध्यान नहीं दिया कि उनकी मौत हो गई है।