ज्योति से ज्योति जलाओ अभियान का पहला चरण स्क्रीनिंग का है. परेशानी में डालने वाली बात ये है कि इस दिन पांच हजार से अधिक लोगों ने अलग-अलग जगहों पर अपनी आंखों की जांच कराई. इनमें से एक चौथाई लोग ऐसे रहे हैं जिनकी आंखों में हाई ब्लड शुगर का प्रभाव बढ़ने लगा है. इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण उजागर होने लगे. इसके बावजूद लोग अंजान हैं पूरी तरह से. यूपी स्टेट ऑप्थेलमोजिकल सोसायटी के पूर्व सचिव डॉ. मलय चतुर्वेदी का कहना है कि पांच सौ में सिर्फ पांच लोग ही जागरूक हैं. ओपीडी में डायबिटिक रेटिनापैथी के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है.
मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आरएन कुशवाहा का इस बारे में कहना है कि लाला लाजपत राय अस्पताल की ओपीडी और शिविरों में सभी रोगियों को डायबिटिक रेटिनोपैथी के मद्देनजर स्क्रीनिंग ली जा रही है. आईओएस के ज्योति से ज्योति जलाओ अभियान के दूसरे चरण में घर-घर जाकर लोगों की कॉर्निया की फोटो लेने की योजना तैयार की गई है. इसके लिए लोगों के पास मोबाइल फोन होना शर्त है. उसे फोटो लेकर रेटिना रीडिंग सेंटर भेजना पड़ेगा. यहां विशेषज्ञ रेटीना की जांच करके व्यक्ति को बता देंगे कि डायबिटिक रैटिनोपैथी का खतरा बढ़ गया है. फोटो खींचने वाले को मानदेय की भी व्यवस्था होगी.