वैज्ञानिकों ने टमाटर की इस फसल को खड़ी फसल कहा है। सीएसए में तैयार टमाटर की यह प्रजाति तलाओं वाली है। तने का हिस्सा मिट्टी के सम्पर्क में नहीं आता है। ऊपर की ओर आठ दस फुट तक तार के सहारे यह फैलता है। एक फुट तना होने के बाद ही इसमें फूल निलकने लगता है। फसल शुरू हो जाती है। फसल की तुड़ाई नीचे से शुरू होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीन हाउस कीटों से रहित है। जैविक खाद का प्रयोग किया गया है इससे रासायनिक खादों से सुरक्षित है। मिट्टी के सम्पर्क में फसल नहीं आती है। यह सभी चीजें फसल को स्वस्थ बनाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कम क्षेत्र में अधिक पौधों को लगाया जा सकता है। तापमान कंट्रोल होता है इसलिए फसल पर तापमान के उतार चढ़ाव का असर नहीं होता। कम समय में पौध की बेल ऊपर की ओर चलने लगती है। फूल भी समय से आते हैं। टमाटर पकता भी समय से है। आठ महीने तक फसल ले सकते हैं। डॉ. राजीव के मुताबिक लागत अधिक नहीं है। एक बार ग्रीन हाउस, नेट हाउस या पॉलीहाउस बनाकर फसल बार बार ले सकते हैं। सामान्य खेतों में होने वाली फसल से कई गुणा अधिक उत्पादन है।
संरक्षित सब्जी की फसलों पर सीएसए में चल रहे प्रशिक्षण के दूसरे दिन आईएआरआई नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ.बीएस तोमर ने पत्तेदार सब्जियों के संरक्षित खेती पर जो दिया। उन्होंने बताया कि सिंचाई के कम साधन, कम रासायनिक खादों और कम स्थान पर इनकी सुरक्षित फसलों को लिया जा सकता है।