आईसीयू में गंभीर अवस्था होने पर मरीज को वेंटीलेटर पर रखा जाता है। यानि जब मरीज खुद अपनी श्वास लेने में भी सक्षम न हो तब वेंटीलेटर पर उसे कृत्रिम श्वास देकर जीवित रखा जाता, ताकि उसका इलाज चल सके। ऐसे में एक नली उसकी श्वास नली तक पहुंचाया जाता है, मगर यह प्रक्रिया काफी कठिन होती है। भोजन और श्वास की नली एक जैसी होने के कारण इसमें अंतर करना मुश्किल होता है। ऐसे में अगर गलती हुई तो मरीज की जान भी जा सकती है।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई यह डिवाइस डॉक्टरों को श्वास और भोजन की नली में अंतर बताएगी। जिससे डॉक्टर आसानी से श्वास नली खोज लेंगे। फिर भी यदि डॉक्टरों से कोई गलती होती है और कृत्रिम ट्यूब गलत जगह जा रही है तो यह डिवाइस अलार्म बजाकर डॉक्टरों को सचेत कर देगी कि उनसे गलती हो रही है। ट्यूब डालने में डिवाइस की मदद मिलने से यह वेंटीलेटर का खर्च भी कम हो जाएगा।
श्वास नली में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है, जबकि खाने की नली में कम होती है। ऐसे में इस डिवाइस के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि कब श्वास की नली में ट्यूब डालना बेहतर होगा, जिससे मरीज को कोई नुकसान न हो। इस गाइडेंस डिवाइस को वेंटीलेटर मशीन के साथ लगाया जाएगा। डिवाइस की हर अपडेट को डॉक्टर अपने मोबाइल पर भी देख सकेंगे।