बेटा बोला गुडवर्क के चलते पिता को जेल भेजा प्रवीण का बड़ा बेटा मर्चेंट नेवी में नौकरी करता है और वह अक्सर देश से बाहर रहता है जबकि उनका छोटा बेटा निशांत गाजियाबाद में बीटेक की पढाई कर रहा है। निशांत को जब इस घटना की जानकारी हुयी तो वह अपने घर पहुंचा। निशांत का कहना है की जब नर्सिंग होम में जाकर मम्मी से पूछा की ऐसा कैसे हो गया तब उन्होंने बताया की इसमें अंकित और गोलू का हाथ है पुलिस ने जांच करने के बाद मेरे पापा को जेल भेज दिया जबकि वह निर्दोष हैं निशांत का कहना है की अब पुलिस पर से भरोषा उठ गया है अब अपने पापा को निर्दोष साबित करने के लिए कोर्ट का सहारा ले रहे हैं मेरे पापा और मम्मी किसी तरह का कोई तनाव नहीं था। प्रमीण के साथ काम रने जगमोहन सिंह सेंगर का कहना है की प्रवीण जी सीधे साधे और अच्छे आदमी थे उनपर पुलिस ने इस तरह का केस दर्ज करके उनको जेल भेजा है वो ऐसा नहीं कर सकते सात तारीख को मुख्यमंत्री जी को आना था और वो उस कार्यक्रम में व्यस्त थे।
पुलिस की गढ़ी कहानी में कई पेंच अधिवक्ता सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि पुलिस की इस कहानी में काफी पेंच है। पुलिस ने आरोपी गोलू के बयान, प्रमीण ने अपनी पत्नी की हत्या करने के लिए दो लाख की सुपारी दी थी, आरोपी बनाया है। वकील ने बताया, अगर उन्होंने अपनी पत्नी को मरने की सुपारी दी होती तो वह उनको वहीं मौके पर ही मार देते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करते हुए अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए उनको नर्सिंगहोम में भर्ती कराया। अधिवक्ता का कहना है की पुलिस ने गोलू का जो बयान लिया है वह वैधानिक व्यवस्था के विपरीत है क्योकि धारा 161 के बयान का कोई महत्व नहीं है। इस घटना में अगर विवेचक चाहता तो गोलू का धारा 164 का कलम बंद बयान करवा सकता था लेकिन विवेचक ने जान बूझकर ऐसा नहीं किया। क्यांकि गोलू न्यायालय में जो सच था वही बताता और अभियोजन की कलई खुल जाती।