जांच में स्पष्ट हुआ कि पुलिसकर्मी बदमाशों की तलाश में आसपास के गांवों में सर्च ऑपरेशन चला रहे थे, तभी कांशीराम निवादा गांव के बाहर बने मंदिर के पास मौजूद पुलिसकर्मियों पर प्रेम कुमार और अतुल ने फायरिंग शुरू कर दी थी। पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की, जिसमें दोनों ढेर हुए। इसमें आईजी मोहित अग्रवाल और तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी बाल-बाल बचे थे। पूरे साक्ष्यों के साथ रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी गई है। इसमें पुलिसकर्मियों का कोई दोष नहीं पाया गया है।
प्रभात के एनकाउंटर पर भी न्यायिक जांच की मुहर
जिलाधिकारी आलोक तिवारी का कहना है कि पनकी इलाके में सात जुलाई को प्रभात मिश्रा एनकाउंटर में मारा गया था। उसको पुलिस फरीदाबाद से कानपुर ला रही थी। पुलिस के मुताबिक पुलिस की जीप पंचर हुई थी। इस बीच, दरोगा की पिस्टल छीनकर प्रभात भागा और पुलिस पर फायरिंग की। आत्मरक्षा की कार्रवाई के दौरान पुलिस की गोली से प्रभात मारा गया। ये मुठभेड़ भी पुलिस कस्टडी में हुई थी। लिहाजा, इसकी भी न्यायिक जांच कराई गई। जांच में पुलिस के दावे सही पाए गए। इसलिए पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दे दी गई।
पिस्टल लूटकर भागा था विकास, तब मारा गया
एसटीएफ और यूपी पुलिस उज्जैन से विकास दुबे को कार से कानपुर ला रही थी। 10 जुलाई 2020 की सुबह सचेंडी थानाक्षेत्र में मुठभेड़ में मारा गया था। चूंकि वो पुलिस कस्टडी में था, इसलिए इसकी न्यायिक जांच के आदेश हुए थे। जांच में पुलिस के एनकाउंटर पर मुहर लग गई है। पुलिस की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया था कि सचेंडी क्षेत्र में मवेशियों के सामने आ जाने से गाड़ी (टीयूवी) पलट गई थी। इसी कार में विकास दुबे था। कार पलटते ही विकास इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की पिस्टल लूटकर भाग निकला। पीछा करने पर वह पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने लगा। पुलिस व एसटीएफ की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। जांच में पुलिस के ये दावे सही पाए गए हैं। इसलिए एनकाउंटर टीम में शामिल पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दी गई है।