कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) के अनुसार उत्तरभारत में पड़ रही भीषण ठंड का रबी की दलहनी और तिलहनी फसलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस समय खेतों में अरहर, राजमा, चना और काबुली चना के साथ मटर भी लगभग तैयार है, पर मौसम का खतरा बना हुआ है। फिर भी बारिश से फसल खराब होने वाला समय निकल चुका है।
संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्रमुख दलहनी फसलों का फिर से बेहतर उत्पादन होने के आसार हैं। खरीफ फसल चक्र के दौरान बाद में बारिश अधिक हो गई थी। इससे उत्पादन को लेकर कुछ आशंका थी जो अब खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में रिकॉर्ड उत्पादन हो चुका है। इसलिए दलहन की वैसे भी कोई कमी नहीं है। भविष्य में किन्हीं वजहों से कुछ उत्पादन घटेगा तो भी उपभोक्ताओं पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पर्याप्त मात्रा में सभी तरह की दालें उपलब्ध हैं। तिलहनी फसलों के उत्पादन पर भी कोई खास असर नहीं पड़ेगा।