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कानपुर

बिल्डर नहीं दे सकेंगे धोखा, रेरा ने कसा शिकंजा

रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. सुनने में आया है कि अथॉरिटी की ओर से अब बिल्डर्स पर शिकंजा और भी ज्‍यादा सख्‍त कर दिया गया है.

कानपुरJul 10, 2018 / 11:50 am

आलोक पाण्डेय

kanpur

बिल्डर नहीं दे सकेंगे धोखा, रेरा ने कसा शिकंजा

कानपुर। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. सुनने में आया है कि अथॉरिटी की ओर से अब बिल्डर्स पर शिकंजा और भी ज्‍यादा सख्‍त कर दिया गया है. इस क्रम में अब उन्हें प्रोजेक्ट की केवल बेसिक जानकारियां ही नहीं देनी होंगी, बल्कि डिटेल्ड इनफॉर्मेशन देनी होगी. इसमें फ्लैट, बॉलकनी, पार्किंग एरिया से लेकर प्रोजेक्ट में उपलब्ध कराई जानी वाली सुविधाएं आदि शामिल हैं. वह भी यूपी रेरा पोर्टल पर दिए गए फॉर्मेट में देनी होगी. ताकि बिल्डर, फ्लैट खरीदने वालों के साथ धोखाधड़ी न कर सके. अगर करेंगे तो उन्हें खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा.
पहले करना होता था सिर्फ ये
पिछले साल लॉन्‍च यूपी रेरा के पोर्टल पर बिल्डर्स को केवल प्रोजेक्ट से जुड़ी बेसिक जानकारियां ही उपलब्ध करानी थी, जिसमें प्रोजेक्ट का नाम, लोकेशन, टोटल एरिया, कास्ट, प्रपोज्ड स्टार्ट व एंड डेट, परमिट, टोटल पार्किंग, आर्किटेक्ट व कांट्रैक्टर का नाम, जमीन से जुड़ी जानकारियां आदि ही शामिल थे.
पोर्टल पर किए गए ऐसे बदलाव
इधर रेरा पोर्टल को अपडेट किया गया है, जिसमें बिल्डर को प्रोजेक्ट की बेसिक जानकारियों के साथ डिटेल्ड इनफॉर्मेशन भी देनी है. इसके लिए कई नए फॉर्मेट भी जोड़े गए हैं. जिसमें अपार्टमेंट डिटेल्स आदि शामिल हैं. इसमें हर एक फ्लोर में स्थित फ्लैट की संख्या, हरएक फ्लैट का कॉरपेट एरिया, बॉलकनी की संख्या व उनका कुल एरिया, बरामदा की संख्या व कुल एरिया, गैराज की संख्या व उनका टोटल एरिया, ओपेन पार्किंग स्पेस व संख्या आदि शामिल हैं.
करना होगा अब ये काम भी
प्रमोटर्स को रेरा पोर्टल को सिर्फ जानकारियां ही नहीं देनी होंगी, बल्कि संबंधित डाक्यूमेंट्स भी उपलब्ध कराने होंगे. इसमें प्रोजेक्ट का अप्रूव लेआउट, सैंशंड लेटर, अप्रूव्ड मैप, फ्लोर प्लान, प्रोजेक्ट स्पेशिफिकेशन, एलॉमेट लेटर का प्रोफार्मा, अप्लीकेशन फॉर्म, वाटर सप्लाई, वेस्ट डिस्पोजल प्लान, आर्किटेक्ट, सीए, कमेंसमेंट, इंजीनियर्स सर्टिफिकेट आदि शामिल हैं.
हर तीन महीने में देनी होगी प्रोग्रेस रिपोर्ट
सिर्फ यही नहीं रेरा पोर्टल पर हर तीन महीने में प्रोजेक्ट की प्रोग्र्रेस रिपोर्ट भी भरनी पड़ेगी. इसमें भी टोटल प्रोग्र्रेस रिपोर्ट की बजाए हर एक वर्क की अलग-अलग प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी. इसमें डिमार्केशन ऑफ प्लाट्स, बाउन्ड्रीवॉल, रोड वर्क, वाटर सप्लाई (ड्रिकिंग वाटर फैसिलिटी सहित), सीवर सिस्टम, ड्रेन, पार्क, ट्री प्लांटेशन, इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई व स्ट्रीट लाइट, कम्यूनिटी बिल्डिंग, सीवेज ट्रीटमेंट, सॉलिडवेस्ट मैनेजमेंट(डिस्पोजल सिस्टम), वाटर कंजर्वेशन सिस्टम, एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम, फायर सेफ्टी सिस्टम, सोशनल इंफ्रास्ट्रक्चर (पब्लिक हेल्थ सर्विसेज),इमरजेंसी इवैक्यूशन सर्विसेज आदि शामिल है.

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