वैज्ञानिकों ने बताया कि लकवाग्रस्त मरीज का दिमाग काम करता है लेकिन उससे हाथ तक पहुंचने वाली तरंगे काम करना बंद कर देती है। इससे मस्तिष्क के निर्देशन के बावजूद हाथ की अंगुलियां काम नहीं करतीं। इस समस्या से निपटने को वैज्ञानिकों ने रोबोटिक एक्सोस्केलेटन हाथ बनाने में सफलता हासिल की है। तीन अंगुलियों के साथ सेंसर लगाया गया है। सेंसर की मदद से मस्तिष्क से मिलने वाले निर्देश का पालन अंगुलियां करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार देश के साथ ब्रिटेन में भी बड़े पैमाने पर रोबोटिक हाथ के नैदानिक क्लीनिकल परीक्षण की योजना है।
पहननी होती है डिवाइस
लकवाग्रस्त व्यक्ति को इस डिवाइस को अपने सिर पर पहनना और रोबोटिक हाथ लकवाग्रस्त हाथ में पहनना होता है। इसके बाद उसकी अंगुलियां काम करना शुरू कर देती हैं। इसकी मदद से पीडि़त व्यक्ति काफी हद तक सामान्य लोगों की तरह हाथ से काम कर सकेगा। यह डिवाइस और रोबोट आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. आशीष दत्ता और उनकी टीम ने तैयार किया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस डिवाइस की कीमत लगभग 15 हजार रुपए के करीब होगी। एक्सोस्केलेटन लकवाग्रस्त रोगियों को मस्तिष्क की सूचनाएं देता है और इसके निर्देश पर अंगुलियां काम करेंगी। रोबोटिक एक्सोस्केलेटन हाथ को रोगी अपने हाथ पर पहन सकता है। यह मस्तिष्क संकेतों का उपयोग करता है। इसे मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) की मदद से सिर पर पहना जाता है। रोबोटिक हैंड बैटरी से चलता है और इसके लगातार काम के लिए बैटरी को समय-समय पर चार्ज करना होता है।