कानपुर की लघु शस्त्र निर्माणी (एसएएफ) का मुख्य उत्पाद मशीन गन ही है। अभी तक सेना की तरफ से एसएएफ को तीन या चार सौ तक मशीन गन का ही आर्डर मिलता आया है। पहली बार सेना ने तीन हजार से अधिक मशीन गन का आर्डर दिया है। इतने बड़े पैमाने पर आर्डर मिलने से निर्माणी में खुशी की लहर है। निर्माणी के सूत्रों ने बताया कि इसी सप्ताह बोर्ड की ओर से मशीन गन के बल्क निर्माण का आर्डर मिला है। यह आर्डर तीन साल में पूरा करके देना है। सेना इससे भी जल्द आर्डर चाहती है।
भारतीय सेना में बड़े पैमाने पर इस्तूेमाल की जाने वाली मशीन गन (एमएजी) में कई खासियत हैं। इसकी मारक क्षमता १८०० मीटर तक है। 7.62 एमएम कैलिबर और 1255 एमएम लेंथ के साथ महज ११ किलोग्राम वजन वाली यह मशीन गन प्रति मिनट में ६५० से १००० राउंड तक फायर कर सकती है। इन्हीं खास खूबियों के चलते यह शस्त्र भारतीय सेना का प्रमुख हिस्सा है।
एसएएफ के मुताबिक 2021-22 तक आर्डर पूरा होने की संभावना है। इस साल ही एक हजार मशीन गन देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसमें लगने वाले कंपोनेंट आदि की खरीद की प्रक्रिया पर कार्य शुरू हो गया है। सूत्रों ने बताया कि बुधवार को संयुक्त परामर्शदात्री लघु शस्त्र निर्माणी की बैठक हुई थी। इसमें महाप्रबंधक संजय कुमार पटनायक, अपर महाप्रबंधक तुषार त्रिपाठी, विशेष सलाहकार उपश्रमायुक्त (केंद्रीय) एसके राय के अलावा प्रतिरक्षा कर्मचारी छबिलाल यादव, केके तिवारी, जितेंद्र मोहन, संतोष यादव आदि शामिल हुए थे। यहां निर्माणी को बल्क में मिले आर्डर की जानकारी दी गई थी। इसके बाद आर्डर को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की रूपरेखा तय की गई।