कई वर्षों में वैज्ञानिकों का शोध हुआ सफल कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिक डॉ. मलय के दास, डॉ. प्रदीप्ता कुमार पानीग्रही, अयाज अहमद अंसारी, डॉ. समर्षि चक्रबर्ती व रनदीप रावेश की टीम कई वर्षों से इस शोध में जुटे हुए थे। लंबे समय से शोध के बाद इस तकनीक को विकसित करने में संस्थान की विज्ञानिक टीम को सफलता प्राप्त मिली है। ग्लोबल वार्मिंग के साथ देश में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कार्बन डाई ऑक्साइड गैस होती है। इस गैस के प्रभाव को कम करने के लिए आईआईटी के वैज्ञानिकों ने शोध शुरू किया।
खारे जल को मीठा करने में भी यह सफल होगा वैज्ञानिकों ने नैनो फ्लूड के माध्यम से कार्बन डाई ऑक्साइड को स्टोरेज करने के साथ उसे दूसरे यौगिक से अलग करने में सफलता पाई। इस तकनीक का प्रयोग करने पर कार्बन-न्यूट्रल ऊर्जा चक्र बनता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में सहायक है। इस तकनीकी में नए प्रकार का हाइब्रिड द्रव्य आधारित हाइड्रेट प्रमोटर विकसित होता है जो न केवल हाइड्रेट गठन दर को तेज करता है बल्कि गैस की खपत और पानी के हाइड्रेट रूपांतरण को बढ़ाता है। बताया गया कि यह समुद्री जल या खारे जल को मीठे जल में परिवर्तित करने में उपयोगी साबित होगा।