नेशनल ताइक्वांडो में चयनित पूजा के पिता चाय बेचकर परिवार पालते हैं। घर की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर है, किसी तरह रोटी चल रही है। अब ऐसे में परिवार में किसी खिलाड़ी सदस्य को भरपेट खाना मिलना भी मुश्किल है तो फिर जरूरी डाइट कैसे मिलेगी। मगर पूजा के इरादों पर इसका असर नहीं पड़ा और उसने बिना पूरी डाइट के ही अपना मुकाम हासिल किया।
पूजा को प्रैक्टिस कराने वाले उसके कोच सुशांत का कहना है कि विपरीत हालातों में जहां ज्यादातर खिलाड़ी हौसला खोकर दूसरी राह पकड़ लेते हैं वहीं पूजा ने हार माने बिना अपना अभ्यास जारी रखा। ऐसी लगन कम ही देखने को मिलती है। इसी कारण वह पूजा को फ्री में अभ्यास कराते हैं। पूजा ने कई पदक जीते और लगातार आगे बढ़ती रही। जिसका नतीजा आज सामने है।
पूजा ने २०१५ में ग्रीनपार्क में हुई मंडल स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और उसके बाद आगे बढ़ती रही। २०१६ में स्वर्ण, २०१७ में कानपुर में प्रथम स्थान, जयपुर में रजत पदक, कानपुर में दो बार स्वर्ण और फिर रजत पदक, २०१८ में स्वर्ण और रजत पदक जीता।