वित्तविहीन शिक्षकों के लिए तैयार की जा रही नई नीति कुछ धाराओं को बढ़ाकर शिक्षकों को सेवा सुरक्षा देने की तैयारी है। मानदेय को लेकर यह स्थिति स्पष्ट नहीं है कि न्यूनतम पारिश्रमिक कौन देगा। इसके लिए प्रबंधकों से भी संवाद स्थापित किया गया है।
मौजूदा स्थिति में वित्तविहीन शिक्षकों की नियुक्तियां अभी तो प्रबंधक स्वयं करते हैं। सामान्य तौर पर नियुक्तियां उन्हीं शिक्षकों की होनी चाहिए जो निर्धारित शैक्षिक योग्यता रखते हों लेकिन ऐसा होता नहीं है। इन्हें न्यूनतम वेतन कितना दिया जाए उसे भी प्रबंधक तय करता है। इन विद्यालयों में 5000 रुपए प्रतिमाह से लेकर अधिकतम 10 हजार वेतन ही दिया जाता है। यही नहीं प्रबंधकों पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि वेतन की लिखापढ़ी और हाथ में आने वाला वेतन अलग होता है।
उत्तरप्रदेश माध्यमिक विद्यालय प्रबंधक महासभा के प्रदेश अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय ने बताया कि उन्हें शिक्षा निदेशक, सचिव आदि की बैठक में बुलाकर 15 हजार न्यूनतम वेतन दिए जाने के निर्देश दिए गए थे। पर यह बात बनी नहीं। सभी वित्तविहीन विद्यालयों की स्थिति ऐसी नहीं है जो इतनी धनराशि दे सकें। इसके लिए सरकार को आर्थिक मदद देनी होगी।
कानपुर-उन्नाव-कानपुर देहात के शिक्षक विधायक राजबहादुर सिंह चंदेल का कहना है कि जो उच्चस्तरीय बैठक लखनऊ में हुई थी उसमें यह बताया गया कि जो नई सेवा नियमावली तैयार की जा रही है उसमें अब वित्तविहीन के शिक्षक अंशकालिक नहीं बल्कि शिक्षक माने जाएंगे। शिक्षकों को कुशल श्रमिक के बराबर 15 हजार वेतन भुगतान किया जाएगा। शिक्षक को निकाला जाता है तो उसके लिए पहले डीआईओएस का अनुमोदन जरूरी है। इससे सेवाएं सुरक्षित होंगी।