कानपुर के शशांक तिवारी भारत के दूसरे सबसे बड़े ग्लेशियर के रूप में जाना जाने वाला बारा शिगरी पर तिरंगा लहराकर चर्चा में आ गए हैं। ऐसा करने वाले वह यूपी के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। बर्रा-2 निवासी शशांक बताते हैं कि 7 साल की उम्र में हादसे का शिकार बने गए थे। जिसके बावजूद उन्होंने भविष्य में ऊंचाई पर जाने का निर्णय लिया।
अब उनका सपना एवरेस्ट को पार करने का है। वह अपना आदर्श पीएम नरेन्द्र मोदी को डिस्कवरी के माध्यम से पूरी दुनिया को दिखाने वाले ब्रेयर ग्रिल्स को मानते हैं। शशांक ने बताया कि चोट लगने के बाद से पिता ने उनकी काफी देखभाल की। वर्ष 2012 में बिना बताए मनाली में पहाड़ी चढ़ी और घर आकर पिता को बताया तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। इसके बाद से पिता ने शशांक का और हौसला बढ़ाया।
शशांक अपनी सफलता का श्रेय भारतीय पर्वतारोहण फाउण्डेशन, खेल मंत्रालय के साथ शहर के एकेडमी ऑफ एडवेंचर स्पोर्ट्स को देते हैं। डायरेक्टर निलोफर, संयोजक जमीर अहमद, गोपीनाथ साहू और मौसमी चटर्जी को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि बारा शिगरी ग्लेशियर की ऊंचाई 6300 मीटर है, उसे पार किया। साथ ही एक और 6100 मीटर ऊंची चोटी को पार किया। यहां का तापमान शून्य था।
शशांक ने 2012 में उत्तराखण्ड में ट्रैकिंग शुरू की। 2013 में इन्द्रा चोटी को पार किया, जो 4330 मीटर ऊंची थी। 2016 को हिमाचल प्रदेश के हम्टापास चोटी को पार किया। 2018 में स्टोक कंगड़ी चोटी (6153 मीटर ऊंची) को पार किया। 2016 में मनाली की फ्रेंडशिप चोटी (5288 मीटर ऊंची) पर फतह की। शशांक ने 2018 में मनाली के अटल बिहारी बाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ माउटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स से पर्वतारोहण का कोर्स किया।