‘शिवकुमार सर करते हैं पैसे का भुगतान’ आईपीएल मैच के दौरान कानपुर एसटीएफ ने लैंडमार्क होटल से सटोरियों को अरेस्ट किया था। पूछताछ के दौरान उन्होंने पुलिस को बताया था कि क्वीरेटर शिवकुमार का एक कर्मचारी उन्हें पिच के बारे में जानकारी देता था। शिवकुमार का सट्टेबाजी में नाम आने के बाद इसका ट्रांसफर गाजीपुर कर दिया गया था, लेकिन ये आज भी ग्रीनपार्क स्टेडियम की देखरेख कर रहा है। साथ ही इसके रखे लोग बकाएदा यहां पर काम रहे हैं और पैसे का भुगतान भी यही करता है। गोपनीय कैमरे में कर्मचारी ने साफ कहा कि शिवकुमार सर आते हैं और स्टेडियम की दुरूस्तीकरण के बारे में कहते हैं। वही हमें वेतन सहित अन्य पैसे मुहैया कराते हैं।
नहीं गया गाजीपुर, कानपुर में मौजूद शिवकुमार जो कई सालों तक वह यहां पिच बनाता रहा। लेकिन खेल विभाग ने पांच महीने पहले उसका ट्रान्सफर गाजीपुर कर दिया था। ट्रान्सफर होने के बाद भी वह ग्रीनपार्क में मौजूद है। इतना ही नहीं खुले आम वह कर्मचारियों को काम करने का निर्देश दे रहा है। पिच बनाने में जो भी मजदूर लगे हैं उनका भुगतान भी शिवकुमार ही कर रहा है।
कैमरे में एक कर्मचारी ने स्वीकार किया है कि भले ही शिवकुमार का ट्रांसफर हो गया हो लेकिन वह उनके लिए ही काम कर रहे हैं। रुपयों का भुगतान भी शिवकुमार ही करेंगे। गुरुवार को भी शिवकुमार स्टेडियम में मौजूद था। मीडिया में बात आने के बाद ग्रीनपार्क के अफसर हरकत में आए और उसे कैमरों से बचाकर निकाल ले गए।
ट्यूबेल ऑपरेटर बनाता रहा पिच
करीब 21 अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच और एक दर्जन से अधिक एक-दिवसीय वन डे मैच आयोजित करने वाले उत्तर प्रदेश के इकलौते क्रिकेट स्टेडियम ग्रीनपार्क के पास अपना एक पिच क्यूरेटर तक नहीं है। जब पहली बार प्रदेश में आईपीएल मैचों का आयोजन होने जा रहा है तो पिच की देखरेख का काम ग्रीन पार्क के ट्यूबेल ऑपरेटर और मैकेनिक को सौंपा गया था।
शिवकुमार पिछले कई सालों से पिच को बनाता रहा। आईपीएल मैच के दौरान जब सट्टेबाजी में इसका नाम आया तो बीसीसीआई की विजलेंस टीम ने शिवकुमार की कुंडली खोली तब यूपीसीए की पोल खुली। ग्रीन पार्क में ट्यूबवेल ऑपरेटर और मैकेनिक शिव कुमार जिसका काम ट्यूबवेल खोलना और उसकी मरम्मत करना था, को पिच क्यूरेटर का काम सौंपा गया था।
यूपीसीए जानकार बना अनजान
खेल विभाग को तो इस बात की जानकारी भी नहीं है कि यहां पर कौन से मजदूर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन भी इस बात से अनजान है कि यहां काम कौन करता है। यूपीसीए के अधिकारी खुद मजदूरों को भुगतान करने की बात कह रहे है। लेकिन मजदूरों का कहना है कि उन्हे पैसा शिवकुमार देता है। वहीं क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी अजय सेठी का कहना हैं कि शिवकुमार का ट्रांसफर गाजीपुर किया जा चुका है। वह अपनी पत्नी की बीमारी का एप्लीकेशन देकर छुट्टी पर है। लेकिन ग्राउन्ड पर उसकी मौजूदगी के प्रश्न पर बोले हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं हैं। वही मजदूरों को शिवकुमार के द्वारा भुगतान किए जाने के मामले की जांच कराए जाने की बात कही।