आईआईटी में स्मार्ट इंडिया हैकथॉन के ग्रांड फिनाले में यहां कलेक्टिव चैलेंजर्स की टीम में शामिल चेन्नई के कारपागम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं ने यह हेलमेट तैयार किया है। टीम के छात्र-छात्राओं का कहना है कि दोपहिया वाहनों से हर साल हादसे में करीब 1.37 लाख लोगों की जान चली जाती है। 30 फीसदी मौतें तो समय से इलाज नहीं मिल पाने के कारण होती हैं। इसको देखते हुए ही यह हेलमेट तैयार करने का विचार आया।
इस स्मार्ट हेलमेट में जीपीएस और कई सेंसर लगे हैं। दुर्घटना के समय सेंसर जीपीएस से पास का थाना रीड करते हैं और फ्रीक्वेंसी के आधार पर संदेश भेज देते हैं। जीपीएस की मदद से ही संदेश अस्पताल को भी पहुंच जाता है। हेलमेट के सेंसर की मेमोरी में फीड परिवार के मोबाइल नंबर पर भी दुर्घटना की सूचना पहुंच जाती है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की टीम दि इमोनियर्स के सदस्यों ने दृष्टिहीनों के लिए एक ऐसी वॉकिंग स्टिक बनाई है जो दृष्टिहीनों के लिए बड़ा सहारा साबित हो सकती है। अगर सामने दीवार है तो सेंसर कई बार अलर्ट करेगा कि आप इससे कितनी दूरी पर हैं। अगर पानी नजदीक है तो यह बता देगा कि पानी सामने है। स्टिक में एक एलईडी होगी जो अंधेरे में स्वयं जलेगी और सामने से आने वाले को अलर्ट करेगी। इससे कहीं आग लगी है तो भी पता चल जाएगा।
अनप्लगर नामक टीम में शामिल दीक्षा वालिया, प्रबजोत कौर, रेहराज सिंह, श्रेया कंसल और शिक्षक मो. आसिफ ने मिलकर एक रोबोट स्मार्ट नर्स के रूप में तैयार किया गया है। इसके माध्यम से इलाज में आने वाली जरूरतों को जल्दी से जल्दी पहुंचाया जा सकता है। इसके संचालन के लिए किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती। यह अस्पतालों के खर्च भी नियंत्रित कर सकता है।
फिजिकली हैंडीकैप्ड लोगों के लिए एक ऐसी चेयर तैयार की गई है जो आवाज के इशारे को समझकर दाएं या बाएं घूम सकती है। जेईटी, चेन्नई की टीम ने दिव्यांगों के लिए विशेष चेयर तैयार की है। केवल जुबान दाएं या बाएं घुमाने पर भी यह चलेगी। टीम में एस राघवेंदर, पी हेमानाथन, एस मोनीष कुमार, आर रवि कुमार, वी कीर्तना, एस निवेथा शिक्षक आर प्रवीण, थिल्ला सिवाकावी शामिल हैं।