scriptवसीयत में मिलती थी सरकारी नौकरी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का आ गया बड़ा फैसला | Supreme Court decision over Railway Jobs in Uttar Pradesh | Patrika News
कानपुर

वसीयत में मिलती थी सरकारी नौकरी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का आ गया बड़ा फैसला

रेलवे में अब सेवानिवृत्ति लेकर पुत्र को नौकरी दिलाना बंद.

कानपुरNov 15, 2017 / 04:24 pm

Abhishek Gupta

supreme court

Supreme Court

कानपुर. रेलवे में नौकरी की ‘वसीयत’ बंद। रेलवे ने सेफ्टी केटेगरी यानी संरक्षा से जुड़े कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को अंतिम आदेश तक के लिए रोक दिया है। नए बरस में नए प्रावधानों के साथ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को लागू किया जाएगा। नई व्यवस्था में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर अन्य लाभ को पूर्ववत मिलेंगे, लेकिन किसी एक पुत्र को नौकरी नहीं मिलेगी। रेलवे ने यह आदेश सुप्रीमकोर्ट की फटकार के बाद लागू किया है। गौरतलब है कि लार्सजेस स्कीम के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में तमाम याचिकाएं दाखिल हैं।
लार्सजेस स्कीम का मतलब आनुवांशिक नौकरी

दरअसल, रेलवे ने वर्ष 2001 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना में कर्मचारी के एक पुत्र को नौकरी देने का प्रावधान जोड़ा था। इस प्रावधान के मुताबिक, ड्राइवरों को तीस साल की नौकरी तथा संरक्षा से जुड़े अन्य कर्मचारियों के लिए 20 साल की अनिवार्य नौकरी के बाद 55 से 57 वर्ष की अवस्था में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर न्यूनतम हाईस्कूल की शैक्षिक योग्यता वाले एक पुत्र को संरक्षा विभाग में नौकरी मिलना तय है। अलबत्ता वर्ष 2011 से पहले नौकरी के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा को पास करना होता था, लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारियों के बच्चे शारीरिक मानक पर अनफिट होने लगे तो नार्थ सेंट्रल मेंस यूनियन के बवाल के बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा को रद्द कर दिया गया।
‘वसीयत’ में झांसी मंडल में 80 हजार को मिली नौकरी

रेलवे कर्मचारी लार्सजेस स्कीम की तहत नौकरी को वसीयत की नौकरी कहते हैं। झांसी मंडल में वर्ष 2016 तक इस स्कीम के तहत 80 हजार से अधिक लोगों की भर्ती हो चुकी है, जबकि देश में तीन लाख से ज्यादा लोगों की भर्तियां हुई हैं। लार्सजेस स्कीम की तहत रेलवे कर्मचारियों की संतान को नौकरी के खिलाफ तमाम लोगों ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि यह एक तरह की आनुवांशिक भर्ती है, जिसके कारण अपेक्षाकृत अधिक योग्यताधारी व्यक्ति को रेलवे में रोजगार से वंचित होना पड़ता है। सुप्रीमकोर्ट ने ऐसी तमाम योजनाओं पर सुनवाई करते हुए 27 अक्टूबर को कहाकि यह स्कीम रेलवे कर्मचारी यूनियन और रेलवे बोर्ड का असंवैधानिक गठजोड़ है, जिसे तत्काल खत्म किया जाना चाहिए।
नए आदेश से यूपी में फंस गईं 568 लोगों को नौकरी

लार्सजेस स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक के कारण यूपी में 568 कर्मचारियों के पुत्रों को रेलवे में नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है। झांसी मंडल में 50 आवेदन लंबित हैं, जबकि लखनऊ में 80 लोगों ने नौकरी के लिए फाइल लगाई है। इसी प्रकार इलाहाबाद में 108 लोगों को पिता के स्थान पर नौकरी मिलने की उम्मीद थी। इज्जतनगर मंडल में 76 लोगों को जल्द ही वसीयत वाली नौकरी मिलने वाली थी। कुल मिलाकर लार्सजेस स्कीम पर रोक के आदेश के बाद रेलवे कर्मचारी यूनियन में नाराजगी है। सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के मंडल सचिव आर.एन.यादव कहते हैं कि योजना को निरस्त किया गया तो समूचे देश में पुरजोर विरोध किया जाएगा।

Home / Kanpur / वसीयत में मिलती थी सरकारी नौकरी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का आ गया बड़ा फैसला

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो