आज बदबू और गंदगी के चलते आप जिन नालों के पास जाने से भी कतराते हैं, जल्द ही उसी जगह पर आप परिवार सहित टहलने भी जाएंगे और पिकनिक मनाएंगे। शहर के बीच से निकलने वाले नालों की सूरत जल्द ही बदलेगी। इनमें न होगा बदबूदार पानी और न ही बहेगा सीवेज। इन्हें अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान के तहत रमणीय स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। नालों के किनारे हरियाली होगी। आने वाले समय में सुबह-शाम की सैर का यह मुफीद स्थान भी होगा। फिलहाल तीन-चार नालों को पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में चिह्नित किया जाएगा। सबसे पहले रफाका, सीओडी या पनका जैसे किसी एक नाले की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। योजना ऐसी होगी, जिसमें नालों में साफ और ट्रीट किया पानी ही बहेगा।
सूबे में इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है। इसके तहत नाले का पानी ट्रीट करके उसे सिंचाई के काम में इस्तेमाल किया जाएगा। जिससे भूमिगत जल की जरूरत कम होगी। नाले के किनारे पाइप लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें से सिर्फ सीवेज ही आगे निकलेगा। कुछ दूरी पर छोटे-छोटे ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। ऐसे प्लांट से सीवेज को ट्रीट करके बगल के नाले में डाल दिया जाएगा। इससे नाले का पानी साफ नजर आएगा। नाले के किनारे ग्रीनरी विकसित की जाएगी।
नमामि गंगे के विशेषज्ञों ने बताया कि नालों को ऐसा कर दिया जाएगा जिसमें बहने वाले पानी में रंगबिरंगी मछलियां आपको रोमांचित करेंगी। पानी को इस लायक कर दिया जाएगा कि उसमें भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन रहे और जलीय जंतुओं को परेशानी न हो। अभी तक जो लोग नाले की तरफ गुजरते भी नहीं है वे उसी तरफ से अपना रास्ता बनाएंगे। ये नाले देख लोग गर्व करेंगे। नाले के आसपास रहने वालों को सबसे ज्यादा खुशी होगी।