इस मामले में विकास के साथी कुढ़वा शिवली के गुड्डन त्रिवेदी उर्फ अरविंद व उसके चालक गांव के सुशील कुमार तिवारी उर्फ सोनू घटना के बाद से फरार चल रहे थे। जिसके बाद एटीएस ने गुड्डन व सुशील दोनों को मुंबई में गिरफ्तार किया था। फिलहाल दोनों जेल में हैं। गुरुवार को सुशील के जमानती प्रार्थना पत्र की एंटी डकैती रामकिशोर की कोर्ट में सुनवाई हुई। बचाव के पक्ष के अधिवक्ता अरविंद राठौर ने दलील दी कि सुशील के गुड्डन और विकास से कोई संबंध नहीं रहे हैं। पुलिस ने गलत तरीके से फंसा दिया है। कहा कि न तो उसने घटना को लेकर षड्यंत्र किया और न ही कोई आरोपियों की मदद की।
वहीं अभियोजन पक्ष से सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि सुशील गुड्डन का करीबी है। उसके चालक के रुप में साथ रहता था। दोनों ने मिलकर विकास दुबे को कारतूस व असलहे पहुंचाए थे। इसलिए इस जघन्य हत्याकांड में सुशील का अपराध जमानत योग्य नहीं है। इसी आरोप में विनय तिवारी, शिवम दुबे, रेखा अग्निहोत्री की जमानत पहले ही निरस्त हो चुकी है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुशील की जमानत खारिज कर दी। वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरविंद राठौर ने हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।