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कानपुर

विश्व में देश का नाम ऊंचा करने वाला शहर का ताइक्वांडो खिलाड़ी झेल रहा गरीबी

पिता के बाद परिवार भी संभाला और अपनी मंजिल भी पाई
घुटना टूटने के बावजूद नहीं मानी हार, जीती अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता

कानपुरSep 09, 2019 / 01:56 pm

आलोक पाण्डेय

Taekwondo player life in poverty

विश्व में देश का नाम ऊंचा करने वाला शहर का ताइक्वांडो खिलाड़ी झेल रहा गरीबी

कानपुर। भले ही केंद्र सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए खिलाडिय़ों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन कई ऐसे खिलाड़ी आज भी उपेक्षा का शिकार हैं जो कई बार पदक जीतकर देश का नाम ऊंचा कर चुके हैं। ऐसा ही एक खिलाड़ी है अतुल दुबे, जो अंतरराष्ट्रीय फलक पर देश का नाम रोशन कर चुका है, फिर भी आज गरीबी का दंश झेल रहा है। उसके परिवार में एक कुंवारी बहन अंकिता भी है। अतुल अपनी मां लीलावती व बड़ी बहन अंकिता के साथ गुजैनी स्थित किराए के दो कमरों में रहता है। छोटी सी गृहस्थी से परिवार के तीनों सदस्य अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
बच्चों को ट्रेनिंग देकर पाल रहा पेट
अतुल के पिता फैजाबाद निवासी हरि प्रकाश नौकरी की तलाश में कई वर्षों पूर्व कानपुर आए थे। यहां पर वह मूलगंज स्थित एक दुकान में प्राइवेट काम करते थे। परिवार में पत्नी लीलावती, दो बेटियां व एक बेटा है। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। बेटा अतुल दुबे ताइक्वांडो का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है। पास के ही एक प्राइवेट स्कूल में बच्चों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। पिता की मौत के बाद इसी ट्यूशन से मिलने वाले पैसों से परिवार का पेट पाल रहा है।
शुरू से ही ताइक्वांडो सीखने की इच्छा
अतुल बताते हैं कि 2008 में जीएनके इंटर कॉलेज में समर कैंप के दौरान ताइक्वांडो सीखने की इच्छा घरवालों से जताई थी। कैंप निशुल्क था तो वहां से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। खेल में रुचि बढ़ी तो स्कूल में ही प्रशिक्षक प्रयाग सिंह से प्रशिक्षण प्राप्त किया। अगस्त 2011 में आगरा में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में अतुल ने पहली बार रजत पदक जीता। तब से वह तमाम राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर पदक जीत कर शहर का नाम रोशन कर रहा है। दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय कूकिवॉन कप में कांस्य पदक भी जीता।
पैर टूटने पर भी हार नहीं मानी
खनऊ में 23 दिसंबर 2018 को आयोजित भारत रत्न अटल बिहार बाजपेई ताइक्वांडो टूर्नामेंट में फाइनल फाइट में मुड़ जाने से अचानक पैर टूट गया था। घर में इतने रुपये नहीं थे कि पैर का ऑपरेशन करा सकें, तो एक वैद्य से मिले और उपचार कराया, इसके चलते कुछ महीनों तक वह अपना अभ्यास भी नहीं कर सके। पैर ठीक होते ही अतुल ने अभ्यास करना शुरू किया और साथ में बच्चों को प्रशिक्षण भी देने लगे।
प्रशिक्षक को दिया क्रेडिट
अतुल ने अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने प्रशिक्षक प्रयाग सिंह को दिया है। अतुल ने कहा कि जब से ताइक्वांडो का प्रशिक्षक लेना प्राप्त किया है, तब से हमारे गुरु ने हर मोड़ पर साथ दिया है। निशुल्क प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्होंने आर्थिक मदद भी की और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं तक में भेजा। अतुल ने अगस्त 2011 आगरा में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। फिर जनवरी 2012 लखनऊ में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीता। जुलाई 2013 बरेली में हुई सब जूनियर राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीता और अगस्त 2013 बलरामपुर में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। नवबंर 2015 फैजाबाद में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीता फिर सितंबर 2015 में ब्लैक बेल्ट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद मई 2017 में दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय कूकिवॉन कप में कांस्य पदक जीता और फरवरी 2018 अमृतसर में हुई ऑल इंडिया यूनिवर्रि्र्सटी में प्रतिभाग किया।

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