हैलट अस्पताल में मरीजों के साथ हो रहे दुव्र्यहार के मामलों और जीएसवीएम की हो रही फजीहत को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने नया मसौदा तैयार किया है। अब जूनियर डॉक्टरों की गोपनीय रिपोर्ट प्रमुख अधीक्षक कार्यालय में तैयार होगी। अधिकारियों का कहना है कि हर महीने मरीजों को भगाने और मारपीट की बड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं। प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि डिग्री के लिए अस्पताल में व्यवहार को लेकर एनओसी लेनी होगी। यह व्यवस्था कई बड़े संस्थानों में लागू है। इसे इसी वर्ष लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
जूनियर डॉक्टरों, मरीजों और तीमारदारों के बीच मारपीट की घटनाओं को वर्ष जनवरी 2018 से जुलाई 2019 तक 10 बड़े मामले हुए हैं। चार मामले सीनियरों और जूनियरों के बीच मारपीट और रैगिंग की शिकायतों को लेकर हैं। इन सभी मामलों में स्वरूपनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि कुछ मामलों में जूनियर डॉक्टरों की गम्भीर गलती मिली है पर कॉलेज के हस्तक्षेप की वजह से कार्रवाई नहीं हो पाई। मामले थाने आते तो हैं पर पीडि़त पक्ष के बयान पर हाजिर नहीं होने से ठंडे पड़ जाते।