दरअसल मानसून (Mansoon) के बाद पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है, जिससे ठंडी हवा मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों की ओर बढ़ती है। इससे सर्दियों के मौसम में होने वाली बारिश भी होती है। आमतौर पर मानसून का समय 1 जून से तीस सितंबर तक का होता है, जिसमें झमाझम बारिश (Fast rain) होती है। इसके बाद भूमध्य सागर मैदानी क्षेत्रों की तरफ ठंडी हवाएं आती हैं, जिससे पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है। यह सर्दियों में बारिश कराता है। हाल ही में पश्चिमी विक्षोभ के पाकिस्तान और भारतीय बार्डर से सैकड़ों फीट ऊपर सक्रिय होने का पता चला है। इधर, बंगाल की खाड़ी में नया मानसूनी सिस्टम बन गया, जिससे पूर्वोत्तर के राज्यों में बारिश शुरू हो गई है।
इसी के चलते यूपी के गोरखपुर, बलरामपुर सहित प्रयागराज में हल्की वर्षा हुई। फिलहाल चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम विभाग (Weather department) की पश्चिमी विक्षोभ और मानसून पर अनवरत नजर है। मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन पांडेय ने बताया कि कई बार मानसून के लौटने के बाद अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में बंगाल की खाड़ी में तूफान विकसित होने की आशंका रहती है। इसको पोस्ट मानूसन के साथ ही साइक्लोन सीजन भी कहते हैं। इन 3 महीने में बंगाल की खाड़ी में कई बार निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है। इससे पूर्वी और पूर्वाेत्तर राज्यों में अच्छी वर्षा होती है।