प्राणों की रक्षा करने वाली इस संजीवनी बूटी को वनस्पति की भाषा में सी बक थार्न बेरी कहा जाता है। वैसे भी पहाड़ी इलाकों में कई ऐसी वनस्पतियां उग आती हैं जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी कारगर होती है, पर इस वनस्पति का संबंध रामायण से होने के कारण इसका महत्व ज्यादा है। माना जाता है कि इसे हर मर्ज में उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आरती लाल चंदानी ने बताया कि संजीवन बूटी कहे जाने वाले सी बक थार्न बेरी नामक इस वनस्पति पर रिसर्च कर इसके लाभदायक तत्व खोजे जाएंगे।
बताया जाता है कि सी बक थार्न बेरी नामक इस वनस्पति की पूरी दुनिया में मांग है। बड़े पैमाने पर विश्वभर के लोग इसे ले जाते हैं। लद्दाख समेत हिमालयी रेंज के कई स्थानों पर यह बेरी पायी जाती है। इसे कई गंभीर बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है। अब मेडिकल कॉलेज में इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध किया जाएगा। ताकि इसका लाभ बड़े पैमाने पर चिकित्सा क्षेत्र को मिल सके।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी दवाओं पर भी शोध करेगा। इसमें इन दवाओं के फायदेमंद होने के संबंध में सबूत ढूंढा जाएगा। प्राचार्य ने बताया कि आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव से इन तीन शोधों के संबंध में सकारात्मक चर्चा पर सहमति बनी है।