आपको बताते चलें कि मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीन जिले में 130 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं। वर्तमान समय में 118 डॉक्टर तैनात हैं। जबकि 12 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। जबकि जिलास्तरीय अस्पतालों में स्वीकृत 36 के सापेक्ष सिर्फ 22 डॉक्टरों की तैनाती है। यहां भी 14 चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे हैं। इसके बावजूद अस्पतालों से कई डॉक्टर बिना सूचना दिये अनुपस्थित चल रहे हैं। कई चिकित्सक बिना अवकाश लिए ही मनमाने तरीके से कई महीनों से गायब हैं। इससे शासन की ओर से सभी को स्वास्थ्य सेवाएं देने की मंशा पर पलीता लग रहा है। जिसकी वजह से अस्पतालों मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। इसका फायदा निजी अस्पताल उठाते हैं।
डॉक्टरों के गायब रहने को शासन ने गंभीरता से लेते हुए ब्योरा तलब किया है। विशेष सचिव नर्वेद सिंह ने सीएमओ को पत्र भेजा है, जिसमे कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि बिना सूचना दिए लंबे समय से गायब चिकित्सक सरकारी सेवा के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने लेवल दो व तीन के नदारद चिकित्साधिकारियों को चिह्नित करते हुए स्पष्ट संस्तुति करते हुए तथ्यात्मक रिपोर्ट सीएमओ से मांगी है। मुख्य चिकित्साधिकारी हीरा सिंह ने बताया कि ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ उप्र सरकारी सेवक नियमावली के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी। बिना अवकाश व लंबे समय से बिना सूचना दिये गायब चल रहे डॉक्टरों की रिपोर्ट शासन ने मांगी है। ऐसे डॉक्टरों का ब्योरा तैयार कराके भेजा जा रहा है।