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बीमारियों के कहर से खौफजदा कानपुर, पटरी से उतरी सरकारी एम्बूलेंस

उत्तर प्रदेश की जनता ने सूबे में कमल खिलाया और भाजपा ने प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी।

कानपुरAug 11, 2017 / 09:09 am

आकांक्षा सिंह

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कानपुर। उत्तर प्रदेश की जनता ने सूबे में कमल खिलाया और भाजपा ने प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी। सीएम पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने कई अहम फैसले लिए, जिसमें बूचड़खानों में तालेबंदी, एंटी रोमियो सेल, किसानों का कर्जमाफी के साथ ही सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर की प्रेक्टिस पर रोक के साथ सड़कों के गड्ढे भरने का फरमान सुनाया। लेकिन तीन माह से ज्यादा का कार्यकाल पूरा कर चुकी योगी सरकार के जमीन पर सारे दावे कागजों में सिमट कर रह गए हैं। मरीजों को समय से इलाज मिले इसके लिए एम्बूलेंस की व्यवस्था की गई है, पर अफसरशाही के चलते ये सेवा पटरी से पूरी तरह से उतर चुकी है। सूबे में हालात ये बन गए हैं के आज सातवें दिन भी सरकार की निशुल्क एंबुलेंस सेवा (102 और 108) पूरी तरह ठप पड़ी है।


फोन लगाया, पर नहीं मिली सेवा


अर्रा गल्लामंडी निवासी कौशल (45) प्राइवेट नौकरी करते थे। वह मूलरूप से कन्नौज निवासी थे। बुधवार को वह ऑफिस जाने के लिए घर से निकले थे कि उनके सीने में दर्द होने लगा। इस पर वह डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा लेकर घर चले गए, लेकिन उनको आराम नहीं मिला। घर में उनकी तबियत और बिगड़ गई। इस पर परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 108 नंबर पर फोन किया, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। करीब 15 मिनट बाद ऑपरेटर ने फोन उठाया, तो उसने यह कहकर एंबुलेंस भेजने से मना कर दिया कि डीजल न होने से सेवाएं बंद कर दी गईं। इस पर परिजन किसी तरह ई-रिक्शा से उसको हैलट ले गए। जहां डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया।


नहीं मिल रहा डीजल, अस्पताल में खड़े एम्बुलेंस


बतादें एंबुलेंसों में डीजल न होने की वजह से हो रहा है। यही वजह रहीं एक जरूरतमंद मरीज को समय रहते एंबुलेंस न मिल सकी और इसी चलते उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। परिजनों की माने तो उसको अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस सेवा को लगातार कई बार फोन किए गए। उन्होंने बताया पहले तो फोन ही नहीं उठा, बाद में उन्हें एंबुलेंस के लिए ही मना कर दिया गया। मजबूरन परिजन उसे ई रिक्शा से हैलट लेकर पहुंचे। वहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एंबुलेंस न मिलने से मरीज की मौत के बाद भी अफसर नहीं जागे। एम्बूलेंस संचालन कंपनी के मालिक राजीव सक्सेना ने बताया कि जैसे ही डीजल मिलेगा, एंबुलेंस चलने लगेंगी। सीएमओ डॉ.अशोक शुक्ला का कहना है कि उन्होंने शासन को इस बारे में अवगत करा दिया है। आगे की कार्रवाई शासन स्तर से होगी।


कहीं प्राइवेट एम्बूलेंस का फेर तो नहीं


सरकारी एम्बूलेंस सेवा बंद होने से प्राइवेट एम्बूलेंस संचालक मनमानी पैसे वूसल रहे हैं। कुंवरपुर से डफरिन आई एक प्रसुता के परिजनों ने बताया कि हमारे गांव से कानपुर की दूरी 50 किमी के आसपास है , लेकिन एम्बूलेंस चालक ने हमसे पूरे तीन हजार रूपए लिए। वहीं डफरिन में एक अन्य प्रसुता के पति रवि कुमार का कहना था कि डीजल का सिर्फ बहाना है। असली वजह प्राइवेट एम्बूलेंस संचालक सरकारी एम्बूलेंस सेवा देने वाली कंपनी के कर्मचारियों को कमीशन दे रहे हैं। वहीं एंबुलेंस सेवा ठप होने के कारण प्रसूताओं को प्राइवेट गाड़ियों से डफरिन लाया गया। इसी तरह अस्पताल से छुट्टी होने वाले जच्चा-बच्चा को घर ले जाने के लिए परिजनों को प्राइवेट गाड़ियों की व्यवस्था करनी पड़ रही है।


फोन उठाने के बाद डीजल नहीं मिलने का जवाब


डीजल न मिलने से बंद हुई एंबुलेंस सेवा से जुड़े ऑपरेटरों ने फोन उठाना बंद कर दिया। इससे मरीजों को और भी दिक्कत हो रही है। नौबस्ता गंगा साहू कहना है कि ऑपरेटर को पहली बार में ही फोन उठाकर एंबुलेंस सेवाओं के बंद होने के बारे में बता देना चाहिए। इससे तीमारदार मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए दूसरी व्यवस्था कर लेंगे, लेकिन वे फोन नहीं उठाते हैं। इससे तीमारदार निशुल्क एंबुलेंस की उम्मीद से फोन मिलाते रहते हैं। वहीं सड़क हादसे में घायल अजय के परिजनों ने एम्बूलेंस सेवा में काल की। ऑपरेटर ने फोन उठाया, लेकिन उसने मौके पर आने से साफ मना कर दिया। अजय के परिजनों ने बताया कि हम ऑटो के जरिए उसे हैलट लाए।

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