छुक-छुक बीच के तैयार कर रहे थे ट्रैक, सिविल परीक्षा पास कर बनेंगे कलेक्टर
आवास विकास, कल्याणपुर निवासी ने हासिल की 882 वीं रैंक, आईएएस में सिलेक्शन के बाद करेंगे समाज सेवा

कानपुर। ‘कौन कहता है, आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों..’ दुष्यंत के इस शेर से प्रेरणा लेकर, आवास विकास, कल्याणपुर में रहने वाले रिटायर रेलवे कर्मी राजकुमार सोनकर और डाकखाना कर्मचारी उमा सोनकर के बेटे अभिनव रेलवे में असिस्टेंट रीजनल मैकेनिकल इंजीनियर है ने आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपना और शहर का नाम रोशन किया है। अभिनव ने बताया कि बारवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मैंने तय कर लिया था कि एक दिन आईएसएस कर एग्जाम क्वालीफाई करूंगा और फिर कदम बढ़ा दिए। इस दौरान कई रास्ते काटें भरे मिले, पैरों के तलवे में घुसे, खून बहा पर मेरा हौसला नहीं टूटा। अभिनव ने बताया कि रेलवे में जॉब मिलने के बाद मैं निरंतन सिविल परीक्षा की तैयारी में जुटा रहा। आठ घंटे की ड्यूटी के बाद आठ घंटे की पढ़ाई मैं नियमित रूप से करता। कभी कोंचग का सहारा नहीं लिया। अभिनव कहते हैं किताबों का गुरू बनाया और सपने को ताकत और इसी के बल पर सफलता हासिल की। आगे भी एक सपना है जिसे साकार करने के लिए अब और मेहनत करनी है। जाति, धर्म, ऊंचि और गरीब के भेदभाव को मिटाकर हर तबके के व्यक्ति के अंदर देश, शिक्षा और समाज के विकास की लौ जलानी है।
तीन साल से कर रहे हैं रेलवे में नौकरी
छुक-छुक की आवाज के बीच उसकी रफ्तार को बनाए रखने के लिए दिन में आठ से दस घंटे ड्यूटी करने के बाद रात में सिविल सेवा की तैयारी करना सिविल सेवा परीक्षा में 882 वीं रैंक हासिल करने वाले अभिनव का दिनचर्या का हिस्सा बन गई थी। सुबह के वक्त घर से निकल जाते और कभी-कभी रात में ड्यूटी करनी पड़ती। उस वक्त अभिनव अपने साथ भोजन के थैले में किताबों का बंडल लेकर आते। ट्रेन को ट्रैक पर लाकर कुछ समय निकाल कर पढ़ाई करने में जुट जाते। पढ़ते-पढ़ते सुहब हो जाती तो अभिनव वहीं पर सो जाते। दोस्त आकर उन्हें जगाते तो फिर से काम पर डट जाते। कठिनाईयों पर सफर में अभिनव ने कभी हार नहीं मानी। रेलवे में नौकरी के दौरान अभिनव की कार्य की सराहना हुई और कई पुरूस्कार भी मिले।
पैसा नहीं समाज की सेवा है करनी
अभिनव रेलवे में असिस्टेंट रीजनल मैकेनिकल इंजीनियर हैं। अभिनव ने बताया कि वह अपने काम से खुश हैं, लेकिन देश और समाज के लिए बहुत कुछ नहीं कर पा रहे। इसी कारण सिविल सेवा परीक्षा दी। अभिनव की 882 वीं रैंक है। अभिनव ने कहा कि क्या कैडर मिलेगा, अभी ये तय नहीं है लेकिन वह आईएएस बनना चाहते हैं। अभिनव ने डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर, अवधपुरी से पढ़ाई करने के बाद स्पेशल क्लास रेलवे अंप्रेंटिस से स्नातक की डिग्री ली। इसी डिग्री से वर्ष 2015 में रेलवे में नौकरी मिल गई। पिछले तीन साल से नौकरी के साथ ही सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं। अभिनव ने बताया के रेलवे में नौकरी मिल जाने के बाद माता-पिता ने कहा बेटे सेंट्रल गर्वेमेंट की नौकरी है और अच्छा पैस और रूतबा है। अब ज्यादा मेहनत मत करो। लेकिन मैंने पापा से कहा कि मुझे नौकरी, पैसा नहीं समाज की सेवा करनी है और आईएएस में सिलेक्शन के बाद मैंने जो सपने देखें हैं वह पूरे कर सकूंगा।
अभिनव के गुरू आंबेडकर
अभिनव ने बताया कि उनके प्रेरणा श्रोत डॉक्टर भीमराव आंबेडकर हैं। मैंने उनके इतिहास, त्याग और बलिदान को पढ़ा और नजदीक से जाना भी है। आंबेडरक साहब ने किस तरह से जाति-मजहब के नाम पर बंटे लोगों को एक किया और खुद सबके लिए संविधान में जगह दी। मेरा सपना है कि मैं भी गरीब तबका आज भी शिक्षा से कोसों दूर है। अगर मुझे मौका मिला तो मैं अशिक्षितों के लिए मुहिम चलाऊंगा। अभिनव को वैसे किसी खास खेल पर रूचि नहीं हैं। हां उन्होंने इतना जरूर बताया कि विराट कोहली उनके पसंदीदा क्रिकेटर हैं। क्योंकि उनका सपना था कि देश के लिए खेलें। पिता की मौत के बाद वह रणजी मैच खेलने के लिए पिच पर उतरे और सौ रन से ज्यादा रन बनाए। यह उन्होंने अपने लिए नहीं, बल्कि अपने उस पिता के लिए किया, जिसने विराट कोहली को बेहतर क्रिकेटर बनाने के लिए अपना खून-पसीना बहाया था।
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