जूनियर डॉ. सौरभ त्रिपाठी ने एमबीबीएस अंतिम वर्ष के 120 छात्रों को रिसर्च मे शामिल किया है. उन्होंने उनसे खान-पान, सोने-जागने और पढ़ने के समय की पूरी हिस्ट्री जानी. दरअसल डॉ. सौरभ ने मोटापे को अपने रिसर्च का केंद्र बनाया है. इसी रिसर्च के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि अंतिम वर्ष तक आते-आते अधिकतर छात्र ओवरवेट से पीड़ित हो जाते हैं. नतीजा ये है कि छात्र सुस्त हो रहे हैं. इससे उनके परिणाम पर भी असर पड़ रहा है.
इन पर भी हुआ रिसर्च
इसी तरह से डॉ. कृतिका सिंह ने 50 एमबीबीएस छात्रों पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रिसर्च किया है. इसमें उन छात्रों को शामिल किया गया है, जो मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. इससे उनकी पढ़ाई के साथ-साथ उनकी याददाश्त पर भी असर पड़ रहा है. उनकी रुचि दूसरे खेलों में घट रही है. कुर्सी पर बैठकर किताब पढ़ने की क्षमता में कमी देखी जा रही है. हालांकि यह प्राथमिक स्तर पर रिसर्च के निष्कर्ष हैं. फिलहाल शोध अभी जारी है.
कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में डॉ. पंकज ने टीबी रोगियों की जीवनशैली और उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति को रिसर्च का केंद्र बनाया है. उन्होंने पाया कि डॉट्स के तहत इलाज ले रहे टीबी रोगी तनाव में होते हैं. यही तनाव उनको डिप्रेशन में पहुंचाता है. इतना ही नहीं, इसी डिप्रेशन से उन्हें अन्य कई तरह की समस्याएं हो रही हैं. डॉ. पंकज के मुताबिक डॉ. मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में आने वाले टीबी के 220 रोगियों पर रिसर्च किया गया है. अभी इस पर भी रिसर्च जारी है. निष्कर्ष भी आना बाकी है. इस रिसर्च को लिस्बन में स्वीकार किया गया है.