इसके चलते नीलामी पर लगी रोक
बैंक ऑफ इंडिया से विक्रम कोठारी ने करीब 848 करोड़ रूपए का कर्जा लिया हुआ है। ब्याज मिलाकर ये रकम एक हजार करोड़ के आसपास पहुंच गई है। कोठारी ने समय से बैंक का पैसा वापस नहीं किया, जिसके चलते उनकी कोठी को बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया है। जिसकी कीमत करीब 30 से 35 करोड़ की बताई जा रही है। बैंक कोठी को नीलाम करने की तैयारी में था, लेकिन प्रर्वतक निदेशालय के चलते उसे अपने कदम पीछे करने पड़े। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सीबीआई से कहा है कि इस प्रकरण में गबन किए हुए धन की वापसी कराना सुनिश्चित करें। बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की वजह से संपत्तियों की नीलामी नहीं हो पा रही है। 30 मई 2018 को प्रवर्तन निदेशालय ने नीलामी योग्य संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया था।
क्या है पूरा मामला
विक्रम कोठारी ने कई साल पहले बैंक ऑफ इंडिया की बिरहाना रोड स्थित शाखा से चार कंपनियों के नाम से अलग-अलग ऋण लिया था। यह ऋण रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, कोठारी फूड एंड फ्रेगरेंस, रोटोमैक एक्सपोर्ट और क्राउन एल्वा के नाम से कर्ज लिया गया। 2015 में सभी ऋण खाते एनपीए होने के बाद बैंक ने कई नोटिस जारी किए, लेकिन न तो ऋण जमा किया गया, न ही नोटिस का जवाब दिया गया। बैंक की ओर से सरफेसी एक्ट के तहत 27 जुलाई 2016 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के नाम 848 करोड़ रुपये का मांग नोटिस जारी किया गया था। तभी यह मामला देश के सामने आया। लेकिन ऋण की अदायगी नहीं हुई। अब रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड ऋण खाते के नाम पर बंधक संपत्ति (मकान संख्या 7/23, तिलक नगर) को कब्जे में ले लिया। विक्रम कोठारी पर सात बैंकों का करीब 3695 करोड़ रूपए का कर्ज बकाया है और उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
कौन हैं विक्रम कोठारी
कानपुर और देश में कोठारी समूह एक जाना-पहचाना नाम है। आठ हजार करोड़ के कारोबारी साम्राज्य वाले इस समूह की नींव मनसुख भाई कोठारी ने 1973 में डाली थी। जुलाई 1925 में मनसुख भाई कोठारी का जन्म गुजरात के एक छोटे से गांव निराली में हुआ। वह आठ भाई बहनों में सबसे बड़े थे। शुरूआत में वह केवल 1.25 रुपए की दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते थे। 16 वर्ष की उम्र में वह कानपुर चले आए। यहां कुछ अलग करने की हसरत उनके दिल में थी। उनके सपनों को पंख 18 अगस्त 1973 को लगे, जब उन्होंने कोठारी समूह की नींव रखी। परिवार में पत्नी शारदा बेन और दो बेटे दीपक और विक्रम कोठारी ने भी उन्हें आगे बढ़ाने में काफी सहयोग दिया।
बनाया बेमिसाल पेन बने कर्जदार
विक्रम कोठारी रोटोमैक ग्लोबल के सीएमडी हैं, जो स्टेशनरी के व्यापार की नामी कंपनी है। विक्रम कोठारी ने ही साल 1992 में रोटोमैक ब्रांड शुरू किया था, जो भारत में एक नामी ब्रांड बन चुका है। जिस विक्रम कोठारी का नाम लोन डिफॉल्ट के मामले में उठाया जा रहा है, उन्हें वर्ष 1983 में सामाजिक कार्यों में अहम योगदान के कारण लायन्स क्लब ने गुडविल एंबेसडर बनाया था। बाद में उन्हें लायंस क्लब का इंटरनेशनल डायरेक्टर बनाया गया। रोटोमैक ग्लोबल के सुनहरे अतीत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुपरस्टार सलमान खान इस कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हुआ करते थे। उन्होंने रोटोमैक पेन के लिए काफी विज्ञापन किए। लेकिन वक्त बदला और आज विक्रम कोठारी अरबों के कर्जदार हो गए।