scriptसावन व शिवरात्रि के इस मंदिर में दर्शन करें जरूर, हर मनोकामना होती पूर्ण, अनोखी है इसकी दास्तां | Visit this temple of Sawan and Shivaratri, must have a unique story | Patrika News
कानपुर

सावन व शिवरात्रि के इस मंदिर में दर्शन करें जरूर, हर मनोकामना होती पूर्ण, अनोखी है इसकी दास्तां

धार्मिक स्थल के पीछे की दास्तां सुनकर बाबा के भक्त यहां दर्शन करने जरूर आते हैं।

कानपुरJul 14, 2020 / 06:43 pm

Arvind Kumar Verma

सावन व शिवरात्रि के इस मंदिर में दर्शन करें जरूर, हर मनोकामना होती पूर्ण, अनोखी है इसकी दास्तां

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कानपुर देहात-श्रृद्धा और भक्ति का प्रतीक बने कानपुर देहात के रसूलाबाद के धर्मगढ़ बाबा मंदिर की अजीब दास्तां है। सच कहें तो इसकी कहानी भी इसकी मान्यता का वजह है। साथ ही यहां भगवान भोलेनाथ से की गई मनौती पूर्ण होने के कारण भी दूर दराज के लोग यहां मत्था टेकने आते हैं। शिवरात्रि का पर्व और सावन का पवित्र माह में इस मंदिर की छटा निराली होती है। कस्बा के कोतवाली परिसर में बने इस धार्मिक स्थल के पीछे की दास्तां सुनकर बाबा के भक्त यहां दर्शन करने जरूर आते हैं। इसकी स्थापना एक मुस्लिम धर्म के थानाध्यक्ष द्वारा कराई गई थी। धीरे धीरे समय गुजरता गया और आज यह मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है।
रसूलाबाद में कभी राजा दरियाव चन्द्र का किला हुआ करता था। बात बहुत पुरानी है जब अंग्रेजों की लड़ाई में राजा दरियावचंद्र को इसी थाना परिसर में एक नीम के पेड़ से फाँसी दी गई थी। जिसके बाद 52 एकड़ का बहुत विशाल खेड़ा, जो आज खत्म हो गया। जिसके कुछ अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं। इस स्थल की अलग अलग मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि यहां पर बहुत घनी झाड़ियों के बीच एक शिवलिंग थी, जहां पर मवेशियों को चराने के लिए चरवाहे आया करते थे। उसमें एक ऐसी गाय भी थी, जो उसी स्थान पर अपना सारा दूध शिवलिंग के ऊपर निचोड़ देती थी। इसका पता कुछ दिनों बाद चला, जब एक चरवाहे ने स्वयं देखा कि ये गाय कुछ देर के लिए रोजाना उसी स्थान पर जाकर खड़ी हो जाती है। उसके मन में विचार आया तो उसने जब देखा कि एक शिवलिंग है और ताजा दूध भी है।
ये बात उसने अपने साथियों को बताई। जिसके बाद लोगों ने साफ सफाई की। इसके बाद उस शिवलिंग की खुदाई की गई, लेकिन उसका अंत नहीं मिला। धीरे-धीरे लोगों ने झाड़ियों कि सफाई कर एक कच्चा चबूतरा बना दिया। इसके बाद भोलेनाथ की कृपा लोगों पर बरसने लगी। आज वही स्थल धर्मगढ़ बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बताते हैं कि इस परिसर में बनी पुलिस कोतवाली में एक इसरार हुसैन नाम के दरोगा ने मन्नत मांगी थी, जो महज एक ही हफ्ते में पूरी हो गई और उन्होंने मन्दिर बनाने की योजना बनाई। जिसमें कस्बा निवासियों ने भी भरपूर सहयोग किया। समय-समय पर सभी थानाध्यक्षों ने इसमें सहभागिता निभाई। यहाँ कई मठों के संकराचार्यों का भी आना हो चुका है, जिससे यह एक सिद्ध पीठ के रूप में भी जाना जाता है। सलेमपुर महेरा निवासी श्रद्धालु राजू सिंह गौर बताते हैं कि यहां दर्शन मात्र से बिना मांगे बाबा सबकी मुरादें पूरी करते हैं।
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