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कानपुर

विटामिन डी का डोज कमजोर करेगा कोरोना की चेन, संक्रमण रोकने में मिलेगी सफलता

फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं पर काबू पाकर कोरोना का असर होगा कम एंजियोटेंसिन-2 और एंजियोटेंसिन-1-7 को संतुलित करने से मिलेगी राहत

कानपुरMay 04, 2020 / 12:01 pm

आलोक पाण्डेय

विटामिन डी का डोज कमजोर करेगा कोरोना की चेन, संक्रमण रोकने में मिलेगी सफलता

विटामिन डी का डोज कमजोर करेगा कोरोना की चेन, संक्रमण रोकने में मिलेगी सफलता

कानपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और संक्रमित मरीजों के लिए चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ आए दिन नए-नए शोध के जरिए राहत पाने का रास्ता खोज रहे हैं। अब तक किए गए कई प्रयोग सफल रहे, जिससे रोगियों के ठीक होने की रफ्तार बढ़ी है। अब नए शोध में पता चला है कि विटामिन डी की अतिरिक्त डोज से कोविड-19 की चेन ब्रेक होगी और काफी हद तक संक्रमण को रोका जा सकता है। इसलिए मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर विटामिन-डी के सप्लीमेंट से कोरोना संक्रमित मरीजों को बचाने की तैयारी कर रहे हैं।
फेफड़ों पर हमला करता वायरस
डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना वायरस सीधे फेफड़ों पर हमला करता है। ऐसे में अगर विटामिन डी की कमी से फेफड़े सम्बंधी दुश्वारियों के बढ़ती है। इसकी कमी से वायरस फेफड़े की कोशिकाओं में विशेष तरह के रिसेप्टर के सहारे चिपककर एक स्पाइक प्रोटीन के सहारे अंदर प्रवेश कर जाता है और वहां कोशिकाओं में मौजूद एंजियोटेंसिन-2 और एंजियोटेंसिन-1-7 नामक रसायन को असंतुलित कर देता है, जिससे फेफड़े में सूजन आ जाती है, सांस चलने लगती है और उसमें कफ और अन्य तरल पदार्थों की जमाव की क्षमता बढ़ जाती है। मरीज, एक्यूट रेस्पाइटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम में जल्दी पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज जान चली जाती है।
विटामिन डी से ठीक होता यह असंतुलन
विटामिन डी की कमी को पूरा करके कोशिकाओं में एंजियोटेंसिन के असंतुलन को ठीक किया जा सकता है। शोधकर्ता बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद नारायण सिंह के मुताबिक यह रिसर्च अमेरिका में चार संस्थानों में चल रहा है। देश में यह पहला होगा, इसके लिए इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च को प्रस्ताव भेजा गया है। मेडिसिन विभाग के डॉ. सौरभ अग्रवाल, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. सुरैया रिसर्च प्रोजेक्ट में शामिल हैं
दो समूहों में होगा शोध
इस शोध के लिए कोविड -19 के मरीजों को दो समूहो में बंाटा जाएगा। एक समूह को स्टैंडर्ड थेरेपी के साथ विटामिन डी सप्लीमेंट तीन सप्ताह तक दिया जाएगा। दूसरे समूह को सिर्फ स्टैंडर्ड थेरेपी दी जाएगी। तीन सप्ताह बाद रक्त से विटामिन डी की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता में हुए बदलाव की जांच होगी। प्रस्ताव आईसीएमआर को भेजा गया है। विटामिन डी सिर्फ हड्डियों के नहीं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने,कोलेस्ट्राल स्तर को कम करने, गर्भ में पहल रहे बच्चे को जन्मजात बीमारियों से बचाने समेत कई बीमारियों की रोकथाम में उपयोगी है।
कोरोना से सुरक्षा के लिए यह डाइट असरदार
कोरोना वायरस से शरीर और श्वसनतंत्र की सुरक्षा के लिए दैनिक आहार में एक गिलास गाय के दूध रोजाना लेना चाहिए। यह विटामिन डी की दैनिक जरूरतों का 20 फीसदी पूरा करता है। पूर्ण वसा वाला दूध पीएं, क्योंकि इसमें विटामिन डी की अधिकतम मात्रा होती है। इसके अलावा दो अंडा रोजाना यह दैनिक विटामिन डी की 25 फीसदी जरूरतों को पूरा करने को काफी है, अंडे का सफेद हिस्सा बेहतर माना गया है। विटामिन डी की कमी को दूर करने में दही बड़ा मददगार है। स्टोर दही नहीं लें क्योंकि यह प्रस्ंस्कृत होते हैं जिससे विटामिन डी की मात्रा कम हो जाती है। संतरे के रस में विटामिन डी और विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है यह सबसे अच्छे फलों के रसों में से एक है। नाश्ते में एक गिलास ताजा संतरे का रस शामिल करें।
ऐसे पता चलती विटामिन डी की कमी
जिस व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है उसे थकान और एनर्जी की कमी महसूस होती है। इसके अलावा जोड़ों में दर्द या मांसपेशियों में दर्द, या शरीर में सामान्य कमजोरी का अहसास होता है। सीढिय़ों पर चढऩे में कठिनाई होती है। बहुत अधिक बालों का झडऩा भी विटामिन डी की कमी से जुड़ा हो सकता है। इसके अलावा घावों को ठीक होने में बहुत समय लगता है, लंबे समय तक पाचन संबंधी समस्याएं भी शरीर में विटामिन डी की कमी का संकेत देती हैं।

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